Piyush Pandey RIP:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारतीय विज्ञापन जगत के महानायक और क्रिएटिव जीनियस पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे सिर्फ एक ऐडमैन नहीं थे, बल्कि भारतीय विज्ञापन की आत्मा थे, जिन्होंने हमारे विज्ञापनों को ‘देशी भावनाओं’ से जोड़ा। उनके जाने से न केवल विज्ञापन उद्योग, बल्कि पूरी रचनात्मक दुनिया ने एक बड़ा मार्गदर्शक खो दिया है।
करियर की शुरुआत
जयपुर में जन्मे पांडे ने अपने करियर की शुरुआत क्रिकेटर और टी-टेस्टर के रूप में की थी। 1982 में उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा और जल्दी ही Ogilvy India के क्रिएटिव डायरेक्टर बने। उनकी रचनात्मक सोच ने भारतीय ब्रांड्स को वैश्विक पहचान दिलाई।
उनके बनाए विज्ञापन
उनके बनाए विज्ञापन आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं- फेविकोल का “जुड़ता ही चला जाए”, कैडबरी का “कुछ खास है ज़िंदगी में”, एशियन पेंट्स का “हर खुशी में रंग लाए”, और हच का “व्हेयरएवर यू गो, आवर नेटवर्क फॉलोज़”। ये सिर्फ विज्ञापन नहीं, बल्कि आम लोगों की भावनाओं का हिस्सा बन गए।पीयूष पांडे को 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया और वे Ogilvy Global के चीफ क्रिएटिव ऑफिसर भी रहे।
उनके योगदान को 2024 में London International Awards द्वारा “Legend Award” से भी सम्मानित किया गया।उन्होंने न सिर्फ उत्पाद बेचे, बल्कि विचारों को जन-जन तक पहुंचाया । उनके विज्ञापनों ने भाषा, संस्कृति और समाज को एक सूत्र में पिरोया।
पीयूष पांडे के निधन से भारतीय विज्ञापन उद्योग में एक युग का अंत हो गया है। उनकी मुस्कान, सादगी और रचनात्मकता आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
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