नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत का संविधान अब मैथिली और संस्कृत समेत 22 अनुसूचित भाषाओं में पढ़ा जा सकेगा। भारत सरकार ने संविधान की 8वीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 22 अनुसूचित भाषाओं में संविधान का अनुवाद करने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरूआत की है। इस परियोजना के तहत मैथिली, संस्कृत समेत 22 अनुसूचित भाषाओं में भारत के संविधान का विमोचन किया जायेगा।
संविधान का अनुवाद करने के लिए मार्च 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है यानी मार्च 2025 तक अनुवाद पूरा करने का लक्ष्य है। बता दें कि संविधान दिवस के मौके पर 26 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नई दिल्ली में संस्कृत और मैथिली अनुवाद का अनावरण कर चुकी हैं।
सीआईआईएल का राष्ट्रीय अनुवाद मिशन करेगा अनुवाद
मैसूर स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल) के राष्ट्रीय अनुवाद मिशन द्वारा संविधान का अनुवाद किया जायेगा, जो विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग की आधिकारिक भाषा शाखा है। अधिकारियों के मुताबिक, संस्कृत और मैथिली में भारतीय संविधान के पहले संस्करण को जारी करना भारत की समृद्ध भाषाई विरासत का प्रमाण है।
मैथिली व संस्कृत भाषा में संविधान का होना, गौरव की बात : संयुक्त सचिव डॉ. ब्रजेश कुमार
बता दें कि संविधान दिवस के मौके पर 26 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में संस्कृत और मैथिली अनुवाद का अनावरण किया था। इस पर न्याय मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि संस्कृत और मैथिली भाषा में संविधान का अनुवाद किया गया है। कहा कि तीन-चार महीने का प्रयास रहा है।
इसमें सीआईआईएल के राष्ट्रीय अनुवाद मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि मैं ऐसा मानता हूं कि मैथिली भाषा में पहली बार संविधान का विमोचन हुआ है। मैथिली और संस्कृत भाषा जो हमारे देश की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक हैं, इन दोनों भाषाओं में संविधान का होना हमारे लिए गौरव की बात है।
आगे कहा रि राष्ट्रपति ने इन भाषाओं में संविधान का विमोचन करके हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा काम किया है।
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