Europe will accept India’s hospitality:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत ने 2026 के गणतंत्र दिवस के लिए एक ऐतिहासिक और रणनीतिक फैसला लिया है। इस बार किसी एक देश के नेता नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ (EU) के दो शीर्ष नेता यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा — भारत के मुख्य अतिथि होंगे। सूत्रों के मुताबिक, इस निमंत्रण की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही दोनों पक्षों की ओर से आधिकारिक घोषणा की जाएगी। यह पहली बार होगा जब किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन के दो प्रमुख एक साथ भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होंगे।
यह फैसला भारत की विदेश नीति में एक संतुलित और बहुध्रुवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है। इससे भारत-ईयू संबंधों में न केवल नई ऊर्जा आएगी, बल्कि इसे रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी के रूप में भी देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत के “वैश्विक कूटनीति” में यूरोप को प्राथमिकता देने की दिशा में बड़ा संकेत है।
भारत-ईयू संबंधों में नई मजबूती
पिछले एक वर्ष में भारत और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के बीच रिश्ते तेजी से गहरे हुए हैं। हाल ही में दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और प्रौद्योगिकी सहयोग पर बातचीत को तेज किया है। साथ ही सुरक्षा, हरित ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ रही है। 20 अक्टूबर को यूरोपीय संघ ने “नई रणनीतिक एजेंडा 2030” को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य भारत-ईयू संबंधों को नए आयाम तक ले जाना है।
पिछले साल इंडोनेशिया था मुख्य अतिथि
2025 में गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि थे। लेकिन 2026 में यूरोपीय संघ के दो शीर्ष नेताओं की उपस्थिति भारत की वैश्विक साझेदारी और संतुलित विदेश नीति का नया उदाहरण बनेगी। यह आमंत्रण केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत के कूटनीतिक इतिहास में एक नई शुरुआत का प्रतीक माना जा रहा है।
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