Jammu and Kashmir Assembly:
श्रीनगर, एजेंसियां। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विपक्षी पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) द्वारा लाए गए भूमि अधिकार विधेयक को खारिज कर दिया। यह विधेयक सरकारी और साझा जमीन पर बने अवैध मकानों को मालिकाना हक देने से संबंधित था। मुख्यमंत्री के इस कदम की भाजपा नेताओं ने सराहना की और इसे “भूमि जिहाद” जैसी कोशिशों को रोकने वाला निर्णय बताया।
‘भूमि जिहाद’ के आरोप और विधेयक की पृष्ठभूमि
यह निजी विधेयक पुलवामा से पीडीपी विधायक वहीद पारा द्वारा पेश किया गया था। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य सरकारी, कचरिया, साझा और शामलात जमीन पर बने मकानों को मालिकाना या स्थानांतरण अधिकार देना था। पारा ने इसे नागरिकों के आवास के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) से जोड़ते हुए कहा कि इससे भूमिहीन लोगों को राहत मिलेगी।मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह कदम जमीन हड़पने का रास्ता खोल देगा। उन्होंने चेतावनी दी कि “ऐसे कानून से वही गलती दोहराई जाएगी जो पहले रोशनी योजना में हुई थी।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे वैध विकल्प पहले से मौजूद हैं, इसलिए ऐसे विधेयक की जरूरत नहीं है।
विधानसभा में मत विभाजन और विधेयक खारिज
सरकार के विरोध के बावजूद पारा ने विधेयक वापस लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर ने मत विभाजन कराया, जिसमें विधेयक को केवल तीन सदस्यों का समर्थन मिला और इसे ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया।
भाजपा ने की उमर अब्दुल्ला की सराहना
विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक सुनील शर्मा ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने पीडीपी के नापाक मंसूबों को विफल किया और तथाकथित भूमि जिहाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया।”
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