Indira Gandhi:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 की सुबह बेहद दर्दनाक साबित हुई। उस दिन सुबह 9:12 बजे उनके ही दो सुरक्षाकर्मियों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। इंदिरा गांधी के शरीर में 30 से ज्यादा गोलियां लगीं और वो खून से लथपथ होकर गिर पड़ीं।
उस वक्त वे रोज़ की तरह अपने पोते-पोती राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिलकर निकली थीं। ब्रिटिश फिल्मकार पीटर उस्तीनोव से इंटरव्यू के लिए निकलते समय, उन्होंने अपने बंगले 1, सफदरजंग रोड और कार्यालय 1, अकबर रोड के बीच बने गेट को पार किया ही था कि उनके सिख अंगरक्षक ने सलाम करने के बाद बंदूक तान दी।
क्यों हुई थी इंदिरा गांधी की हत्या?
इस हत्या की जड़ें ऑपरेशन ब्लू स्टार से जुड़ी थीं। जून 1984 में इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सेना भेजी थी। इस सैन्य कार्रवाई में कई निर्दोषों की मौत हुई, जिससे सिख समुदाय के एक हिस्से में गुस्सा फैल गया। उसी गुस्से में उनके सुरक्षाकर्मियों ने प्रधानमंत्री की हत्या कर दी।
मौत की घोषणा में पांच घंटे क्यों लगे?
इंदिरा गांधी को तुरंत एम्स लाया गया, लेकिन तब तक उनकी नब्ज बंद हो चुकी थी। डॉक्टरों ने करीब पांच घंटे तक उन्हें बचाने की कोशिश की, खून चढ़ाया जा रहा था, परंतु खून उसी रफ्तार से बह भी रहा था। आखिरकार दोपहर बाद उनकी मौत की आधिकारिक घोषणा हुई।
सोनिया गांधी ने सुनी थीं गोलियों की आवाज
हमले के वक्त पास ही मौजूद सोनिया गांधी ने गोली चलने की आवाज सुनी और पहले उन्हें पटाखे लगे। जब हकीकत समझ आई तो वो दौड़ पड़ीं। सफेद एंबेसडर कार में, उन्होंने इंदिरा गांधी का सिर अपनी गोद में रखकर एम्स तक पहुंचाया लेकिन तब तक शायद उनकी सांसें थम चुकी थीं।
मौत का पूर्वाभास था इंदिरा गांधी को
हत्या से एक दिन पहले भुवनेश्वर में उन्होंने कहा था “अगर अब मुझे मौत भी आ जाए, तो कोई बात नहीं। मेरे शरीर का हर कतरा देश की सेवा में लगेगा।” उनके करीबी बताते हैं कि इंदिरा को अपनी मौत का पूर्वाभास था। उन्होंने अपने पोते राहुल और प्रियंका से कहा था कि वे उनकी मौत पर रोएं नहीं। बता दें ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें बुलेटप्रूफ जैकेट पहनने की सलाह दी थी, पर उन्होंने मना कर दिया। उन्हें भारी जैकेट पसंद नहीं थी और वो अपने सिख सुरक्षाकर्मियों पर पूरा भरोसा करती थीं।
हत्या के बाद देश में भड़का सिख विरोधी दंगा
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। सिर्फ दिल्ली में ही करीब 2,500 सिखों की हत्या कर दी गई। पंजाब और अन्य राज्यों में भी हालात बेकाबू हो गए थे।
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