India Russia oil imports:
नई दिल्ली, एजेंसियां। अमेरिका ने रूस के दो बड़े तेल उत्पादक रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, भारत अब रूस से तेल की खरीद घटाकर अमेरिका, पश्चिम एशिया, लैटिन अमेरिका, कनाडा और ब्राजील से अधिक आयात करने की योजना बना रहा है। हालांकि इस कदम से ढुलाई लागत बढ़ सकती है, जिससे आयात बिल पर असर पड़ सकता है।
केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार
वर्तमान में भारत रोजाना लगभग 17 लाख बैरल रूसी कच्चे तेल का आयात करता है। केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने की तारीख 21 नवंबर तक यह स्थिति बनी रह सकती है, लेकिन इसके बाद रूस से आने वाली तेल की मात्रा में गिरावट दिखाई देगी। सरकारी और निजी रिफाइनरियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी वर्तमान में रोसनेफ्ट और लुकोइल से लगभग 12 लाख बैरल तेल प्रतिदिन खरीद रही हैं।
प्रतिबंध लागू होने के बाद इन कंपनियों को रूस के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष लेनदेन बंद करना होगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज, जिसका रोसनेफ्ट के साथ 25 साल का 5 लाख बैरल प्रतिदिन का अनुबंध है, सबसे पहले प्रभावित होने वाली कंपनी हो सकती है। वहीं नायरा एनर्जी के पास भी विकल्प सीमित रहेंगे।रूस के तेल पर निर्भरता घटने के बावजूद, भारतीय रिफाइनर तीसरे पक्ष के माध्यम से अप्रतिबंधित रूसी तेल खरीदना जारी रख सकते हैं, लेकिन बेहद सतर्कता के साथ। रिलायंस ने कहा कि वह सरकार के निर्देशों का पूर्ण पालन करेगी और आवश्यक नई कम्प्लायंस प्रक्रियाओं का आकलन कर रही है।
वाशिंगटन का दावा
वाशिंगटन का दावा है कि भारत ने राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर रूस से तेल खरीद कम करना शुरू कर दिया है। हालांकि भारत की ऊर्जा नीति का लक्ष्य हमेशा सस्ती और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना रहा है।इस बदलाव से भारतीय तेल आयात की दिशा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।
इसे भी पढ़ें
भारत ने अप्रैल में 2.61 करोड़ टन कोयले का किया आयात, 13 फीसदी का उछाल



