Honeymoon case:
नई दिल्ली, एजेंसियां। मेघालय के शिलॉंग में हनीमून के दौरान हुए राजा रघुवंशी मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हाल ही में गिरफ्तार हुई उसकी पत्नी सोनम रघुवंशी पर पति की हत्या करवाने का आरोप है। यह मामला केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि समाज में गहराई से छिपे मानसिक, सामाजिक और वैवाहिक दबावों की ओर भी इशारा करता है।
Honeymoon case: क्या है मामला ?
राजा और सोनम की शादी 11 मई 2025 को इंदौर में हुई थी और 20 मई को दोनों हनीमून पर शिलॉंग गए थे। 23 मई से दोनों लापता थे। 2 जून को राजा का शव एक पहाड़ी की तलहटी में सड़ी-गली हालत में मिला, जिसे उसके हाथ पर बने टैटू से पहचाना गया। पहले सोनम को लापता माना गया, लेकिन जांच में सामने आया कि उसी ने पति की हत्या की साजिश रची थी। सोनम को 9 जून को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया।
Honeymoon case:अगर महिला को पति पसंद नहीं तो मर्डर क्यों ?
सवाल ये उठता है कि अगर महिला को पति पसंद नहीं था, तो उसने शादी से इनकार क्यों नहीं किया? या तलाक का रास्ता क्यों नहीं चुना? इस सवाल का जवाब मनोचिकित्सकों ने सामाजिक दबावों, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और वैवाहिक तनाव में ढूंढा है।
Honeymoon case: इस विषय पर डॉ. रजनी शर्मा
मनोचिकित्सक डॉ. रजनी शर्मा के अनुसार, ऐसी घटनाएं एक अकेले व्यक्ति की मानसिक स्थिति से नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक सोच से उपजती हैं। सामाजिक अपेक्षाओं के चलते महिलाएं अक्सर शादी जैसे फैसलों को लेकर खुलकर अपनी राय नहीं रख पातीं। यह दबाव अंदर ही अंदर गुस्से और तनाव में बदलता है, जो समय के साथ हिंसा का रूप ले सकता है। भारत में तलाक को आज भी सामाजिक कलंक माना जाता है।
NFHS-5 के अनुसार, कई राज्यों में 30% से ज्यादा महिलाएं पति की मारपीट को जायज मानती हैं। इससे स्पष्ट है कि महिलाएं खुद की भावनाएं व्यक्त नहीं कर पातीं और मानसिक दबाव हिंसक प्रतिक्रिया में तब्दील हो जाता है। डॉ. रजनी बताती हैं कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद सीमित हैं – हर एक लाख लोगों पर केवल 0.3 मनोचिकित्सक हैं। काउंसलिंग और थेरेपी का अभाव महिलाओं को राहत का मौका नहीं देता। कई बार लंबे समय तक दबाव झेलने वाली महिलाएं PTSD या डिप्रेशन का शिकार होकर खतरनाक कदम उठा लेती हैं।
Honeymoon case: वैवाहिक असंतोष, मानसिक तनाव और सामाजिक दबावों
सोनम रघुवंशी का मामला भले ही अलग हो, लेकिन यह साफ है कि वैवाहिक असंतोष, मानसिक तनाव और सामाजिक दबावों की जटिलता महिलाओं को ऐसे चरम विकल्प चुनने पर मजबूर कर रही है , जहां तलाक की जगह हत्या को “समाधान” माना जा रहा है। इस सोच को समझना और बदलना आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है।
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