Dev Deepawali 2025:
नई दिल्ली, एजेंसियां। देव दीपावली का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार तब और खास हो जाता है जब वाराणसी के घाट लाखों दीयों की रोशनी से जगमगा उठते हैं। गंगा आरती और दीपों की यह भव्यता दुनिया भर के श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन अगर आप इस साल वाराणसी नहीं जा पा रहे हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं — भारत के कई अन्य धार्मिक स्थल भी देव दीपावली के अवसर पर दिव्य सौंदर्य से भर उठते हैं।
उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर की जगमगाती शाम:
मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर और आसपास के घाटों पर देव दीपावली का पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हजारों दीयों से सजी मंदिर की परिक्रमा और महाआरती का दृश्य देखने लायक होता है। पूरा शहर भक्ति और आस्था के रंग में रंग जाता है।
प्रयागराज: संगम की रोशनी में आध्यात्मिक आनंद:
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित प्रयागराज में भी देव दीपावली बेहद भव्य रूप से मनाई जाती है। घाटों पर लाखों दीये जलाकर श्रद्धालु आरती में हिस्सा लेते हैं। पूरे संगम क्षेत्र में दीपों की छटा ऐसी प्रतीत होती है जैसे धरती पर सितारे उतर आए हों।
हरिद्वार: गंगा तट की दिव्यता:
देवभूमि हरिद्वार में हर-की-पौड़ी पर कार्तिक पूर्णिमा की शाम श्रद्धालु गंगा में दीप प्रवाहित करते हैं। आरती के समय जलती दीपमालाओं की रोशनी और गंगा की लहरें मन को आध्यात्मिक शांति प्रदान करती हैं।
अयोध्या: राम नगरी की दीयों से सजी गलियां:
भगवान राम की नगरी अयोध्या में देव दीपावली का उत्सव एक सांस्कृतिक पर्व की तरह मनाया जाता है। राम जन्मभूमि परिसर और हनुमानगढ़ी समेत प्रमुख मंदिरों को हजारों दीयों से सजाया जाता है। शहर की गलियां और घाट सुनहरी रोशनी में नहाई रहती हैं।
चित्रकूट: भक्ति और प्रकृति का संगम:
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे दीपावली जैसा ही दृश्य देखने को मिलता है। घाटों पर दीप जलाने और आरती के साथ भक्ति की धारा बहती है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक माहौल का मेल इसे खास बनाता है।
वाराणसी की देव दीपावली भले ही प्रसिद्ध हो, लेकिन भारत के अन्य धार्मिक स्थलों पर भी इस पर्व की आस्था और रोशनी उतनी ही मोहक होती है। अगर आप भी इस साल वाराणसी नहीं जा पा रहे हैं, तो उज्जैन, हरिद्वार, प्रयागराज, अयोध्या या चित्रकूट में इस दिव्य अनुभव का आनंद ज़रूर लें।
इसे भी पढ़ें



