Sameer Wankhede case:
नई दिल्ली, एजेंसियां। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ अधिकारी समीर वानखेड़े को प्रमोशन देने से जुड़े मामले में केंद्र सरकार की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए केंद्र पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की डिवीजन बेंच ने केंद्र के तथ्य छिपाने के आचरण की निंदा की और स्पष्ट किया कि याचिका दायर करने से पहले सभी तथ्यों का सच्चाई से खुलासा करना जरूरी था।
UPSC की सिफारिश
दरअसल, केंद्र सरकार ने 28 अगस्त को उस फैसले की समीक्षा मांगी थी जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने समीर वानखेड़े को प्रमोशन दिए जाने संबंधी UPSC की सिफारिश के आदेश को बरकरार रखा था। CAT ने कहा था कि अगर UPSC उनके नाम की सिफारिश करती है, तो उन्हें 1 जनवरी 2021 से अतिरिक्त आयुक्त के पद पर प्रमोट किया जाएगा। कोर्ट ने पाया कि केंद्र सरकार ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया कि CAT ने अगस्त में वानखेड़े के खिलाफ विभागीय कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
कोर्ट ने समीक्षा याचिका खारिज करते हुए कहा
कोर्ट ने समीक्षा याचिका खारिज करते हुए कहा कि वानखेड़े के खिलाफ कोई विभागीय कार्यवाही लंबित नहीं है, न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट जारी की गई है या उन्हें निलंबित किया गया है। केंद्र ने यह दावा किया था कि CAT को यह तथ्य समझ में नहीं आया कि वानखेड़े के खिलाफ CBI और ED की ओर से मामले दर्ज हैं और उन्होंने नौकरी पाने के लिए कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था।
कौन है समीर वानखेड़े ?
समीर वानखेड़े फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के कोर्डेलिया क्रूज ड्रग्स मामले में सुर्खियों में आए थे। हाईकोर्ट के आदेश से केंद्र सरकार को 4 हफ्ते के भीतर CAT के निर्देश का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है।यह फैसला केंद्र के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका में तथ्य छिपाना कानूनी आचरण के खिलाफ है।
इसे भी पढ़ें



