Delhi Cloud Seeding Fail:
नई दिल्ली, एजेंसियां। दिल्ली में प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए की गई क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) की कोशिश मंगलवार को असफल रही। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि यह प्रयास “पूरी तरह सफल नहीं” रहा क्योंकि बादलों में नमी की मात्रा बेहद कम थी। अब वैज्ञानिक आज (बुधवार) दोबारा इस प्रक्रिया को दोहराने की योजना बना रहे हैं।
आईआईटी कानपुर के निदेशक ने बताया
आईआईटी कानपुर के निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि मंगलवार को दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में कृत्रिम वर्षा के लिए सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिकों का छिड़काव किया गया था, लेकिन नमी सिर्फ 20 प्रतिशत रहने के कारण बारिश नहीं हो सकी। उन्होंने स्पष्ट किया कि “क्लाउड सीडिंग प्रदूषण से निपटने का कोई जादुई समाधान नहीं, बल्कि एक आपातकालीन कदम (SOS measure)” है।
कैसे हुआ प्रयोग
इस प्रक्रिया के लिए रसायन से लैस एक विशेष विमान कानपुर से दिल्ली भेजा गया। विमान ने बुराड़ी, करोल बाग और मयूर विहार जैसे इलाकों में लगभग आधे घंटे तक आठ झोकों में रसायनों का छिड़काव किया। प्रत्येक झोके में करीब 2 से 2.5 किलोग्राम रासायनिक मिश्रण छोड़ा गया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि प्रयोग के दौरान नमी का स्तर केवल 15-20 प्रतिशत रहा, जबकि बारिश के लिए कम से कम 50 प्रतिशत आर्द्रता आवश्यक होती है।
फरवरी तक तैयार होगी विस्तृत योजना
सरकार ने कहा है कि अगर आगामी परीक्षण सफल रहे, तो फरवरी 2026 तक क्लाउड सीडिंग की पूर्ण योजना लागू की जाएगी। फिलहाल इस प्रयोग को दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता से राहत दिलाने के लिए एक “पायलट प्रोजेक्ट” के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है क्लाउड सीडिंग?
यह तकनीक करीब 80 साल पुरानी है। इसमें बादलों में मौजूद सूक्ष्म कणों पर विशेष रसायनों का छिड़काव कर उन्हें वर्षा योग्य बनाया जाता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तभी सफल होती है जब वातावरण में पर्याप्त नमी और सक्रिय बादल मौजूद हों — जो मंगलवार को दिल्ली में नहीं थे।
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