Bombay High Court:
मुंबई, एजेंसियां। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2011 में मुंबई में हुए तीन सिलसिलेवार बम धमाकों के 65 वर्षीय आरोपी कफील अहमद मोहम्मद अयूब को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और आर.आर. भोसले की खंडपीठ ने मंगलवार को यह आदेश सुनाते हुए कहा कि आरोपी को एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा किया जा सकता है। अदालत का विस्तृत आदेश अभी जारी होना बाकी है।
13 जुलाई 2011 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 10 मिनट के अंदर तीन जगहों झावेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर कबूतरखाना पर बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 27 लोगों की मौत हो गई थी और 120 से अधिक लोग घायल हुए थे। उस समय पूरा शहर दहशत में आ गया था।
13 साल से जेल में बंद आरोपी को मिली जमानत
अयूब को महाराष्ट्र एटीएस ने फरवरी 2012 में गिरफ्तार किया था। वह बिहार का रहने वाला है और बीते करीब 13 वर्षों से मुंबई सेंट्रल जेल में बंद है। उसके खिलाफ दर्ज मुकदमा अब तक पूरा नहीं हो सका है।2022 में स्पेशल कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बचाव पक्ष के वकील मोबीन सोलकर ने अदालत में दलील दी कि आरोपी बिना दोष सिद्ध हुए वर्षों से जेल में बंद है और ट्रायल अब भी लंबित है, इसलिए उसे जमानत दी जानी चाहिए।
एटीएस का आरोप
महाराष्ट्र एटीएस ने जांच में दावा किया था कि इन धमाकों के पीछे आतंकी संगठन “इंडियन मुजाहिदीन” का हाथ था और यासीन भटकल इसका मास्टरमाइंड था। एटीएस ने कहा कि कफील अहमद युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर डालने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने का काम करता था।
अयूब का दावा
अयूब ने खुद को निर्दोष बताया है। उसने कहा कि उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और जो कबूलनामा पेश किया गया, वह पुलिस दबाव में लिया गया था, न कि उसकी स्वेच्छा से। अदालत ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद उसे सशर्त जमानत दे दी।इस फैसले के साथ 13 साल बाद आरोपी को राहत मिली है, हालांकि मुकदमे की सुनवाई अभी जारी रहेगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि जमानत मिलने का मतलब दोषमुक्त होना नहीं है ट्रायल पूरा होने के बाद ही अंतिम फैसला होगा।
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