Ayurveda education:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद अब देश के स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई का हिस्सा बनेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत एनसीईआरटी (NCERT) ने बड़ा बदलाव करते हुए साइंस सिलेबस में आयुर्वेद से जुड़े विषयों को शामिल करने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना और छात्रों में स्वास्थ्य, पोषण व पर्यावरण संतुलन की समझ बढ़ाना है।
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी के अनुसार, यह परिवर्तन छात्रों को केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही नहीं देगा, बल्कि उन्हें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण के सिद्धांतों से भी जोड़ेगा।
कक्षा 6 के सिलेबस में जुड़ेगाः
कक्षा 6 की साइंस किताब में अब आयुर्वेद के 20 गुणों जैसे मूल सिद्धांतों को जोड़ा गया है, जो जीवन और प्रकृति के संतुलन को समझाने में मदद करेंगे। वहीं, कक्षा 8 के सिलेबस में “शरीर, मन और पर्यावरण का संतुलन” नाम से नया अध्याय जोड़ा गया है, जिसमें दिनचर्या, ऋतुचर्या और प्राकृतिक जीवनशैली के महत्व पर विशेष ध्यान दिया गया है।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी के कोर्स में भी होगा आयुर्वेदः
आयुर्वेद को केवल स्कूल स्तर तक सीमित न रखते हुए, यूजीसी (UGC) और आयुष मंत्रालय मिलकर इसे कॉलेज और विश्वविद्यालय शिक्षा में शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं। आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि “एलोपैथी और आयुष दोनों प्रणालियां एक-दूसरे की पूरक हैं। दोनों के संयोजन से देश में एक इंटीग्रेटेड हेल्थकेयर मॉडल तैयार किया जा सकता है।”
छात्रों को भारतीय चिकित्सा पद्धति का ज्ञान होगाः
सरकार का मानना है कि यह कदम छात्रों को भारतीय चिकित्सा ज्ञान की गहराई से परिचित कराएगा और उन्हें आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली की समझ भी देगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यह बदलाव शिक्षा को भारतीय संस्कृति और परंपरागत ज्ञान से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे छात्रों में प्राचीन भारतीय विज्ञान के प्रति सम्मान बढ़ेगा और वे स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक, जिम्मेदार और संतुलित नागरिक बनेंगे।
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