AI suffering brain rot:
नई दिल्ली, एजेंसियां। आजकल सोशल मीडिया पर चर्चा में रहे ब्रेन रॉट शब्द का मतलब है लगातार घटिया, सनसनीखेज और कम मेहनत वाले कंटेंट का सेवन करना, जिससे ध्यान और समझदारी प्रभावित होती है। अब यह समस्या केवल इंसानों तक सीमित नहीं रही। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की नई रिसर्च ने साबित किया है कि AI मॉडल्स भी इस डिजिटल बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं।स्टडी ने LLM Brain Rot Hypothesis पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अनुसार अगर किसी लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) को लगातार भ्रमित और घटिया इंटरनेट टेक्स्ट पर प्रशिक्षित किया जाए, तो उसकी सोचने और तर्क करने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है।
प्रयोग में AI मॉडल
प्रयोग में AI मॉडल को X (पूर्व में ट्विटर) की सनसनीखेज और वायरल पोस्ट्स दिखाए गए। ARC (रीजनिंग क्षमता) पर स्कोर 74.9 से घटकर 57.2 हो गया, जबकि RULER (लॉन्ग-कॉन्टेक्स्ट समझ) पर स्कोर 84.4 से गिरकर 52.3 रह गया। अध्ययन में पाया गया कि प्रभावित AI थॉट-स्किपिंग करने लगा और गलत या अधूरी जानकारी देने लगा। साथ ही, अहंकार, असंवेदनशीलता और साइकोपैथिक प्रवृत्ति बढ़ गई, जबकि सहयोग और जिम्मेदारी में कमी आई।
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