अल्पसंख्यक संगठन की रिपोर्ट में दावा
नई दिल्ली, एजेंसियां। पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात भी बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया।
बेकाबू भीड़ के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक, खासतौर पर हिंदू आए। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की हत्या की गई।
ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं। रेप और महिलाओं से उत्पीड़न की 13 घटनाएं हुईं। मंदिरों पर हमले के 133 मामले सामने आए।
सांप्रदायिक हिंसा की कुल 2010 घटनाएं हुईः
काउंसिल के मुताबिक, तख्तापलट के बाद महज 15 दिन में अल्पसंख्यकों के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की कुल 2010 घटनाएं हुईं।11 जनवरी 2025 को बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर के दफ्तर से बताया गया कि 2010 में से 1769 केस कन्फर्म हैं।
इनमें से 1415 मामलों में जांच की जा चुकी है। 354 मामलों का रिव्यू किया जा रहा है।
88 केस दर्ज, 70 हिरासत मेः
बांग्लादेश सरकार ने 10 दिसंबर तक अल्पसंख्यकों पर हुए हमले के मामलों में 70 लोगों को कस्टडी में लिया। वहीं, कुल 88 केस दर्ज किए हैं। दैनिक भास्कर ने बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के इस डेटा की डिटेल स्टडी की।
साथ ही कुछ मामले विक्टिम फैमिली से बात करके क्रॉस चेक भी किए।
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