नयी दिल्ली, एजेंसियां : राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी और निजी अस्पतालों में वर्ष 2022 में करीब 2.82 लाख बच्चों ने जन्म लिया, जिसमें से करीब 38 फीसदी यानी 1.07 लाख बच्चों का जन्म सिजेरियन प्रणाली से हुआ जबकि सामान्य प्रसव की पद्धति पर आधारित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 17 प्रसूति गृहों में पिछले साढ़े चार वर्षों में सिर्फ 31,121 प्रसव हुए।
आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी अस्पतालों में कुल 21,079 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 4,893 बच्चे सिजेरियन से जन्मे।
वहीं ग्रामीण इलाकों में स्थित निजी अस्पतालों में कुल 7,855 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें 4,700 बच्चे सिजेरियन जबकि सामान्य प्रसव के जरिये 3,089 बच्चे जन्मे।
वहीं, सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर आवेदन के जवाब में एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुहैया कराई गयी जानकारी के मुताबिक, एमसीडी के 17 प्रसूति गृहों में 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) से 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) तक कुल 31,121 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया और इस दौरान तीन नवजात शिशुओं की प्रसव के समय मौत हुई।
स्वास्थ्य विभाग ने आरटीआई के जवाब में बताया कि बीते दो वर्षों में नगर निगम के अंतर्गत आने वाले प्रसूति गृहों में प्रसव के दौरान किसी महिला की मौत नहीं हुई।
दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, ”दिल्ली के प्रसूति गृह में कम डिलिवरी की सबसे बड़ी वजह यह है कि इन केंद्रों पर सिर्फ सामान्य प्रसव किये जाते हैं और यहां ऑपरेशन के जरिए प्रसव का कोई सिद्धांत ही नहीं है, इसलिए ज्यादा गंभीर मामलों या फिर ऑपरेशन की स्थिति में महिलाओं को दूसरे बड़े अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया जाता है।”
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