रांची, एजेंसियां। झारखंड में PSU की 3500 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है। इसे लेकर अब केद्रीय मंत्रालयों ने सख्ती दिखाई है।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय और कोयला मंत्रालय ने अपनी जमीन को चिहिन्त कर वापसी की कार्रवाई का निर्देश दिया है।
दरअसल, झारखंड में संचालित सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) की हजारों एकड़ जमीन पर वर्षों से अतिक्रमण हो रहा है। कुछ जमीन तो मुआवजा दिये जाने के बाद भी विस्थापित खाली नहीं कर रहे हैं।
कई बार अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाये जाते हैं, लेकिन जमीन कब्जे से मुक्त नहीं हो पाती है। राज्य सरकार ने पीएसयू से उनकी जमीन का लगान मांगा है। इसके बाद कोल इंडिया ने सभी कंपनियों को जमीन चिह्नित करने का आदेश दिया है।
कोयला मंत्रालय ने सभी कोल कंपनियों को पत्र लिखकर कंपनी द्वारा अधिग्रहित की गयी जमीन का म्युटेशन कराने का भी निर्देश दिया है।
कहा है कि म्युटेशन नहीं होने से जमीन के मालिकाना हक को लेकर राज्य सरकार और निजी रैयतों के साथ अक्सर विवाद होता रहता है। इसलिए सभी कंपनियों को जमीन चिह्नित कर म्युटेशन करना है।
HEC की 73.05 एकड़ जमीन पर कब्जा
HEC की 73.05 एकड़ जमीन पर कब्जा है। एचइसी ने जमीन की लीज दर 12 करोड़ रुपये प्रति एकड़ निर्धारित की है। इस हिसाब से कब्जा की गयी जमीन की कीमत 876 करोड़ रुपये है।
हकीकत इससे दोगुना से अधिक है। प्रबंधन द्वारा जमीन पर अवैध निर्माण का जो आंकड़ा जारी किया गया है, वह वित्तीय वर्ष 2021-21 और वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक ही है।
अवैध निर्माण रोकने और हटाने का जिम्मा जिन सुरक्षाकर्मियों पर है, वे पिछले 84 दिनों से आंदोलरत हैं। आवासीय परिसर में दुकान, मकान, गैरेज का निर्माण धड़ल्ले से जारी है।
प्रबंधन के पास शिकायत मिलने के बाद भी अवैध निर्माण करनेवालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
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