नई दिल्ली,एजेंसियां: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 जुलाई को सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को उनकी साहस और वीरता के लिए कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार को सियाचिन में शहीद हुए कैप्टन अंशुमन को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।
शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह का वीरता पुरस्कार उनकी पत्नी स्मृति सिंह ने ग्रहण किया। साथ में अंशुमान सिंह की मां भी मौजूद थीं। अंशुमान सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया के निवासी थे।
इस मौके पर स्मृति ने कहा- कैप्टन अंशुमन बहुत सक्षम थे। वे अक्सर कहा करते थे, मैं अपने सीने पर गोली खाकर मरना चाहता हूं।
मैं आम आदमी की तरह नहीं मरना चाहता, जिसे कोई जान ही न पाए। शहीद कैप्टन अंशुमान की पत्नी स्मृति सिंह अभी युवा हैं और उनकी रोती हुई तस्वीरों ने पूरे देशभर को रुला दिया है।
सियाचिन ग्लेशियर में 19 जुलाई 2023 की सुबह भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई थी।
इस पर काबू पाने की कोशिश में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमन सिंह शहीद हो गए थे।
यूपी में देवरिया के रहने वाले अंशुमन सिंह की हादसे से 5 महीने पहले यानी 10 फरवरी 2023 को शादी हुई थी। अंशुमन इस घटना से 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे।
शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह और उनकी पत्नी स्मृति सिंह की लव स्टोरी
अपनी प्रेम कहानी को याद करते हुए शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह ने कहा कि हम अपने कॉलेज के पहले दिन मिले थे।
मैं इसमें ज्यादा ड्रामा नहीं जोड़ना चाहती लेकिन यह पहली नजर का प्यार था। एक महीने के बाद, उनका चयन सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (AFMC) में हो गया।
हम एक इंजीनियरिंग कॉलेज में मिले, और उनका चयन एक मेडिकल कॉलेज में हुआ, सुपर इंटेलिजेंट लड़का।
मिलने के सिर्फ एक महीने बाद, हम आठ साल तक लॉन्ग-डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहे और फिर हमने सोचा कि हमें शादी कर लेनी चाहिए, इसलिए हमने शादी कर ली।
स्मृति सिंह ने आगे कहा दुर्भाग्य से शादी के दो महीने के भीतर ही उन्हें सियाचिन में तैनात कर दिया गया।
18 जुलाई को हमने इस बारे में लंबी बातचीत की कि अगले 50 सालों में हमारा जीवन कैसा होगा- हम घर बनाने जा रहे हैं, बच्चे पैदा करेंगे, और भी बहुत कुछ था।
19 तारीख की सुबह जब मैं उठी तो मुझे फोन आया। मैं फोन उठाई तो उधर से आवाज आई…कैप्टन अंशुमन सिंह शहीद हो गए।
अगले 7-8 घंटे भरोसा ही नहीं हुआ कि ऐसा कुछ हुआ है। मैं यह मानने के लिए तैयार ही नहीं थी कि मेरे पति इस दुनिया में नहीं रहे।
आज तक मैं इस दुख से उबरने की कोशिश कर रही हूं… यह सोचकर कि शायद यह सच नहीं है। अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो मुझे अहसास हुआ कि यह सच है।
लेकिन यह ठीक है। वे एक हीरो हैं। हम अपने जीवन को थोड़ा मैनेज कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने बहुत कुछ मैनेज किया था।
उन्होंने अपना जीवन और परिवार त्याग दिया ताकि अन्य तीन परिवारों को बचाया जा सके।
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