धर्मशाला : तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने कहा है कि महात्मा बुद्ध उनसे प्रसन्न हैं। दलाईलामा मैक्लोडगंज स्थित अपने मुख्य बौद्ध मठ चुगलखांग थेगछेन छोलिंग में चल रहे तीन दिन के प्रार्थना महोत्सव मोनलम चेनमो के समापन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस महोत्सव में दुनियाभर के 12 हजार से अधिक अनुयायियों ने हिस्सा लिया। 600 साल पुराने इस महोत्सव में जातक कथाएं सुनने की प्रथा है। तिब्बती समुदाय में जातक कथाओं का अर्थ है बुद्ध के पिछले जन्मों की कहानियों को पढ़ना।
महात्मा बुद्ध ने बुलाकर चॉकलेट दी
दलाईलामा ने कहा कि वह बोध गया में थाईलैंड के बौद्ध लामाओं के साथ संगोष्ठी कर रहे थे। वहां बुद्ध का एक थांका (पेंटिंग) लगा हुआ था। उसी दौरान बुद्ध ने उन्हें बुलाया और चॉकलेट दी। इसका अर्थ ये हुआ कि बुद्ध उनके कार्यकलापों से प्रसन्न हैं। दलाई लामा ने कहा कि मन में बदलाव से ही शांति प्राप्त की जा सकती है। उसके बाद ही मन के क्लेश समाप्त होंगे और ऐसा सिर्फ अभ्यास से संभव हो सकता है।
मन को शांत रखना चाहिए
दलाई लामा ने कहा कि बाधाओं को दूर करने के लिए मन को शांत रखना चाहिए। बाधाएं बाहर नहीं, बल्कि मन ही में हैं। इसी कारण क्लेश और अशांति है। लोगों के मिथ ही उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। दुख और सुख सबके भीतर हैं और इन्हें दूरे करने से ही विश्व में शांति हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारत, तिब्बत, चीन और मंगोलिया में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या बढ़ी है। पाश्चात्य संस्कृति के लोग भी बौद्ध धर्म को मान रहे हैं। धर्म किसी एक व्यक्ति का नहीं होता।
इससे पहले गुरुवार को महोत्सव के आखिरी दिन दलाईलामा महात्मा बुद्ध की प्रतिमा की ओर मुंह करके बैठे। आसन ग्रहण करने के बाद उन्होंने अपने बायीं तरफ बैठे छोटे लड़के की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज सबके साथ मंगोलिया के खलखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे का पुनर्जन्म है।