दिनांक – 21 जून 2024
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वर्षा ॠतु
मास – ज्येष्ठ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी सुबह 07:31 तक तत्पश्चात पूनम
नक्षत्र – ज्येष्ठा शाम 06:19 तक तत्पश्चात मूल
योग – शुभ शाम 06:42 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल – सुबह 11:00 से दोपहर 12:41 तक
सूर्योदय-05:09
सूर्यास्त- 06:29
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – व्रत पूर्णिमा,वट पूर्णिमा,वटसावित्री व्रत (पूर्णिमांत),वर्ष का सबसे बडा दिन,वर्षा ऋतु प्रारंभ
विशेष – चतुर्दशी, पूर्णिमा व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
सौभाग्य की वृद्धि के लिए करले इतना
गर्मी में कैसे रहें स्वस्थ
क्या करें
1] सुपाच्य, चिकनाई व मधुर रसयुक्त, शीतल प्रकृति के और तरल पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करें।
2] देशी गाय का दूध, घी तथा मिश्री, फल आदि का सेवन करना हितकारी है।
3] धूप में चलते समय सिर को टोपी या पगड़ी से ढक लें।
4] घड़े या सुराही का जल खुला हितकर है ।
5] ऐसे कपड़े पहने जाने चाहिए जो आसानी से सूखे हुए हों।
क्या न करें
1] गर्मियों में गर्म प्रकृति के साथ, तीखे और पचने में भारी पदार्थों से परहेज करें।
2] धूप में आने के तुरंत बाद या एक साथअधिक पानी ना पिए।
3 धूम में घूमना, अधिक व्यायाम करना, देर रात तक जागना, अधिक देर तक भूखा-प्यासा रहना खतरा है।
4] अत्यधिक ठंडा पेय, ठंडा पेय, चिपचिपाहट का ठंडा पानी, बर्फ, आइसक्रीम आदि का सेवन न करें।
विद्यालाभ योग
23 एवं 24 जून 2024 रविवार एवं सोमवार को विद्यालाभ योग (गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, आदि अमावस्यांत मास प्रचलनवाले राज्यों को छोड़कर भारतभर में)
विद्या लाभ के लिए मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा।
विशेष – जिन राज्यों में पूर्णिमा को माह का अंत माना जाता है वहाँ यह मंत्र 23 जून 2024 रविवार को शाम 05:03 से रात्रि 11:45 तक 108 बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद रात्रि 11:00 से 12:00 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से “ह्रीं” मंत्र लिख दें ।
अथवा 24 जून 2024 सोमवार को प्रातः 04:19 से दोपहर 03:54 बजे तक 108 बार मंत्र जप लें और रात्रि 11:00 से 12:00 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से “ह्रीं “‘ मंत्र लिख दें ।
जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा, उसे विद्यालाभ व विद्वत्ता की प्राप्ति होगी।
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