कैसे बनेंगे असिस्टेंट प्रोफेसर
रांची। झारखंड में शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी की लापरवाही के कारण छात्र फंस गये हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अब वे कैसे असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे। इसका कारण है उन्हें मिल रही पीएचडी की डिग्री।
पुरानी नियमवाली से मिल रही डिग्री
दरअसल राज्य में रिसर्च स्कॉलरों को दी जा रही पीएचडी डिग्री यूजीसी रेगुलेशन को पूरा नहीं करती। इस कारण असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में यह बेकार साबित हो रही है।
खुद झारखंड सरकार ने भी नए रेगुलेशन के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति का आदेश निकाला है।
इसमें कहा गया है कि यूजीसी के पीएचडी रेगुलेशन-2009 और 2016 के अनुसार दी गई पीएचडी की डिग्री ही मान्य है।
यह आदेश राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और जेपीएससी को भेजा गया है। लेकिन, परेशानी यह है कि अब तक यूजीसी रेगुलेशन 2009 और 2016 के अनुसार झारखंड में नियम बना ही नहीं है।
अभी भी वर्षों पुराने नियम 2006 के अनुसार ही पीएचडी डिग्री दी जा रही है। इसके लिए सभी विश्वविद्यालय और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग सीधे तौर पर जिम्मेवार हैं।
2009 में बना था नियम
झारखंड सरकार ने पहली बार वर्ष 2006 में पीएचडी डिग्री देने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसे बनने में तीन साल लग गए।
इस नियम का नोटिफिकेशन तत्कालीन उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. अंजनी कुमार श्रीवास्तव द्वारा 20 मार्च 2009 को जारी किया गया था।
इसके बाद यूजीसी पीएचडी रेगुलेशन 2009, 2016 और 2022 जारी कर चुका है। लेकिन राज्य में संशोधित यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार नियम नहीं बन पाया है।
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