Bengal SIR Controversy:
कोलकाता, एजेंसियां। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक टकराव तेज हो गया है। मंगलवार (4 नवंबर 2025) से देश के 12 राज्यों में एसआईआर प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन बंगाल में यह मुद्दा सियासी गर्मी का कारण बन गया है। जहां तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे “एनआरसी की शुरुआत” बताते हुए विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ममता सरकार पर फर्जी और पिछली तारीख के दस्तावेज़ जारी करने का आरोप लगाया है।
बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य, सांसद बिप्लब देब और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय शामिल थे ने सोमवार शाम चुनाव आयोग से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने 24 जून के बाद जारी जन्म प्रमाणपत्रों को अस्वीकार करने और सभी दस्तावेज़ों की कड़ी जांच की मांग की। पार्टी ने आरोप लगाया कि ममता सरकार “दुआरे सरकार” शिविरों के माध्यम से बिना सत्यापन के जाति, आवास और वन अधिकार प्रमाणपत्र जारी कर रही है, जिनमें “अवैध घुसपैठियों” की संख्या अधिक है।
बीजेपी ने कहा
बीजेपी ने कहा कि वर्ष 2020 के बाद से बड़ी मात्रा में जाली और पिछली तारीख के दस्तावेज़ जारी हुए हैं, जिनका उपयोग नागरिकता और निवास साबित करने के लिए किया जा रहा है। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि केवल ग्रुप-ए अधिकारियों द्वारा प्रमाणित दस्तावेज़ ही मान्य हों, और यदि 24 जून के बाद कोई प्रमाणपत्र जारी हुआ है, तो उसका बूथ स्तर पर सत्यापन किया जाए।
टीएमसी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा
वहीं टीएमसी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि यह “एसआईआर नहीं, बल्कि छिपा हुआ एनआरसी है।” पार्टी का कहना है कि राज्य में रह रहे बंगालियों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए यह कवायद की जा रही है। इस बीच, कोलकाता और अन्य जिलों में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने एसआईआर के विरोध में प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है।
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