नई दिल्ली,एजेंसियां। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती, 25 दिसंबर, को “सुशासन दिवस” के रूप में मनाने की परंपरा 2014 में शुरू हुई, जब नरेंद्र मोदी सरकार ने इस दिन को सरकारी प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और अच्छे शासन के महत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाने का निर्णय लिया।
यह दिन वाजपेयी जी के नेतृत्व के दौरान शासन में उनके योगदान और प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
अटल जी का राजनीतिक सफर
अटल जी का जीवन राजनीति, साहित्य और नेतृत्व का आदर्श रहा। वे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 26 राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई।
वाजपेयी जी का अंदाज-ए-बयां और भाषण कला उन्हें एक महान नेता बनाती है। उनका आदर्श नेतृत्व भारतीय राजनीति के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
अटल बिहारी वाजपेयी एक आदर्श राजनेता थे। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 26 राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई।
वे तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके जीवन के प्रारंभिक दिनों में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हुए।
हालांकि, उनकी बहन अक्सर उनकी खाकी पैंट फेंक देती थीं क्योंकि उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे और परिवार चाहता था कि वे राजनीति से दूर रहें।
सुशासन दिवस का महत्व
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर हर साल 25 दिसंबर को भारत में सुशासन दिवस मनाया जाता है। 2014 में, अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
इसके बाद, मोदी सरकार ने वाजपेयी जी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों को सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति जागरूक करना है।
इसका लक्ष्य बेहतर प्रशासनिक कार्यप्रणाली और नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
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