रांची। पिछले 25 सालों से झारखंड के वित्तरहित शिक्षण संस्थानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है।
वित्तरहित शिक्षण संस्थानों के शिक्षाकर्मी लंबित मांगों को लेकर समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं। एक बार फिर ये शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं। हालांकि सरकार ने भी इनकी मांगों पर गंभीरता दिखाई है।
बीते बुधवार को राज्य के 1250 से अधिक वित्तरहित शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों ने एक बार फिर झारखंड विधानसभा का घेराव किया। मांगे वहीं पुरानी थीं। राजकीय कर्मचारी का दर्जा और अनुदान में 75 प्रतिश्त की वृद्धि।
राज्य के कोने-कोने से इंटर कॉलेज, हाई स्कूल, मदरसा और संस्कृत विद्यालयों में पढ़ाने वाले हजारों शिक्षक विधानसभा घेराव में पहुंचे थे।
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि पिछले पांच साल में कई शिक्षा मंत्री बदलते गए, लेकिन उनकी हालत में बदलाव नहीं आया।
संघ के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने बताया कि पिछले साल से उनकी समस्याएं यथावत हैं। सरकारें बदलती रहीं, पर उनकी मांगों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
इस बीच विधानसभा घेरने जा रहे शिक्षकों को पुलिस ने निर्धारित बैरिकेडिंग से आगे बढ़ने नहीं दिया।
इस बीच जब इसकी सूचना शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम को मिली, तो उन्होंने थोड़ी ही देर बाद शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुला लिया।
वार्ता के दौरान मंत्री ने शिक्षकों की मांगों पर गंभीरता दिखाई। उन्होंने फौरन ही समस्याओं के निराकरण के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाने की घोषणा कर दी।
मंत्री ने कहा कि अभी तो काम करने का समय कम मिला है। फिर भी इस बीच जो भी संभव हुआ, तेजी से किया जायेगा।
वार्ता में शिक्षकों की ओर से अध्यक्ष रघुनाथ सिंह, अरविंद सिंह, फजीलुर कादिर अहमद, गणेश महतो, हरिहर कुशवाहा, नरोत्तम सिंह एवं देवनाथ सिंह शामिल थे।
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