PESA rules:
रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 यानी PESA Act के तहत नियमावली लागू करने में हो रही देरी पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार से कहा कि कैबिनेट के निर्णय की जानकारी अदालत को दी जाए।
सरकार ने बताया– संशोधित ड्राफ्ट कैबिनेट को भेजा गया:
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत को बताया कि PESA Rules का संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है, जिसमें सभी संबंधित विभागों के सुझावों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव राज्य कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा गया है और निर्णय जल्द आने की संभावना है।
अदालत ने सरकार की इस दलील को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 13 नवंबर 2025 तय की। इसके साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक आगे कोई आदेश नहीं आता, तब तक राज्य में बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर लगी रोक जारी रहेगी। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई में सरकार को यह बताना होगा कि कैबिनेट ने पेसा नियमावली को मंजूरी दी या नहीं।
कोर्ट ने बरकरार रखी Sand Mining पर रोक:
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने पुराने अंतरिम आदेश को जारी रखते हुए कहा कि बालू घाटों, पत्थर खदानों और अन्य लघु खनिजों के आवंटन पर लगी रोक फिलहाल बनी रहेगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक नियमावली प्रभावी रूप से लागू नहीं होती, खनन गतिविधियों पर नियंत्रण जारी रहेगा, ताकि संसाधनों के दुरुपयोग और अवैध खनन को रोका जा सके।
क्या है PESA Act और झारखंड में देरी का कारण:
Panchayat (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996, जिसे आमतौर पर PESA कानून कहा जाता है, का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और स्थानीय स्वशासन को सशक्त करना है। यह कानून ग्राम सभाओं को जल, जंगल और जमीन से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार देता है।हालांकि, झारखंड में राज्य गठन (2000) के बाद से ही इस कानून के तहत नियमावली लागू नहीं हो पाई है।
राज्य सरकार ने 2019 और फिर 2023 में नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया, मगर इसे औपचारिक रूप से लागू नहीं किया गया। इस देरी के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई, जिस पर 29 जुलाई 2024 को झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो महीने के भीतर नियमावली लागू करने का निर्देश दिया था।
अब जबकि यह समयसीमा समाप्त हो चुकी है, अदालत ने सरकार से प्रगति रिपोर्ट और कैबिनेट के निर्णय की जानकारी मांगी है। अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी, जिसमें उम्मीद है कि सरकार PESA Rules की अंतिम स्थिति स्पष्ट करेगी।
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