Kurmi community:
रांची। झारखंड में कुड़मी समाज की अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किए जाने की माँग को लेकर जारी तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। समुदाय द्वारा राज्य और केंद्र सरकार को दिया गया 15 दिनों का अल्टीमेटम अब समाप्त हो चुका है, लेकिन सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे नाराज़ कुड़मी समाज अब आंदोलन को और तेज़ करने की तैयारी में जुट गया है।कुड़मी समाज के प्रतिनिधियों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर उनकी माँगों पर चर्चा नहीं हुई, तो वे घाटशिला उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे। अब जब सरकार की चुप्पी जारी है, तो समुदाय के नेता रांची में राज्यव्यापी आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, आंदोलन का अगला चरण आने वाले सप्ताह में घोषित किया जा सकता है।
कुड़मी समाज का कहना
कुड़मी समाज का कहना है कि ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और सामाजिक प्रमाणों के आधार पर उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलना चाहिए, क्योंकि वे पारंपरिक रूप से जनजातीय जीवनशैली से जुड़े रहे हैं। समुदाय का आरोप है कि दशकों से उन्हें राजनीतिक और सामाजिक रूप से हाशिए पर रखा गया है।
जानकारों के अनुसार
जानकारों के अनुसार, घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में कुड़मी मतदाताओं की संख्या लगभग 11,000 है, जबकि कुल आबादी करीब 2.55 लाख है। यह संख्या चुनावी परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम है। ऐसे में उपचुनाव के बहिष्कार की स्थिति में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बन सकता है।फिलहाल कुड़मी समाज के भीतर आक्रोश बढ़ता जा रहा है और राज्यभर में जनजागरण अभियान चलाने की योजना तैयार की जा रही है। समुदाय का कहना है कि जब तक उन्हें उनका संवैधानिक अधिकार नहीं मिलता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
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