रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में कई पत्नियां, पुत्र और बहुएं अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाती दिखेंगी। इस परंपरा पर परिवारवाद का ठप्पा जरूर लगा है, पर परंपरा तो हर क्षेत्र में दिखती है।
झारखंड विधानसभा चुनाव की धोषणा के बाद सबसे पहले बीजेपी ने उम्मीदवारों की सूची जारी की, तो उस पर परिवारवाद का आरोप लगा। हालांकि बीजेपी के उप चुनाव प्रभारी हिमंता सरमा ने इसे लेकर सफाई जरूर दी, पर आलोचकों के मुंह बंद नहीं हुए।
अब जबकि सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की पहली सूची सामने आ चुकी है, तो ये साफ हो गया है कि सभी ने परिवारवाद की इस परंपरा को आगे बढ़ाया है। पर बात सबसे पहले दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी की, जो दूसरों पर परिवारवाद का आरोप लगाती रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार के सदस्यों को टिकट दिया है। 2 पूर्व मुख्यमंत्री खुद चुनाव लड़ रहे हैं। 2 पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी को बीजेपी का टिकट मिला है, तो एक पूर्व सीएम के बेटे को और दूसरे पूर्व सीएम की पुत्रवधु को विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला है। एक बीमार विधायक की पत्नी और एक पूर्व विधायक सह सांसद के बड़े भाई को भी टिकट मिल गया है।
अर्जुन मुंडा और मधु कोड़ा की पत्नी को मिला भाजपा का टिकट
भाजपा ने 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को इस बार पोटका विधानसभा सीट से टिकट दिया है। मेनका सरदार का टिकट काटकर उनको पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
निर्दलीय चुनाव जीतकर कांग्रेस के सहयोग से मुख्यमंत्री बने मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भाजपा ने जगन्नाथपुर सीट से टिकट दिया है। गीता कोड़ा ने सिंहभूम लोकसभा सीट से संसदीय चुनाव भी लड़ा था, पर जोबा मांझी से हार गई थीं।
रघुवर दास की पुत्रवधु और चंपाई सोरेन के बेटे भी लड़ रहे चुनावः
पहली बार झारखंड में 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की पुत्रवधु पूर्णिमा दास साहू को जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।
झारखंड के एक और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से टिकट मिला है।
वहीं, बीजेपी के बीमार विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी को सिंदरी विधानसभा से चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है।
ढुल्लू महतो के बड़े भाई को भाजपा ने बाघमारा से उताराः
बाघमारा विधानसभा सीट से लगातार 3 बार जीतने वाले ढुल्लू महतो अब धनबाद के सांसद बन चुके हैं। उनकी जगह भाजपा ने उनके बड़े भाई शत्रुघ्न महतो को बाघमारा से अपना उम्मीदवार बनाया है।
ढुल्लू महतो ने बाघमारा विधानसभा सीट पर जलेश्वर महतो को पराजित किया था।
ये तो था बीजेपी का परिवारवाद और अब बात इंडी गठबंधन में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की करते हैं।
तो, राज्य के कुछ चुनिंदा राजनीतिक परिवार चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुके है। ये परिवार पहले से भी राज्य की राजनीति में प्रमुख भूमिका में रहे हैं।
कुछ सत्ता से बाहर तो कुछ सत्ता में रह कर झारखंड की राजनीति को प्रभावित करते हैं। उनमें शिबू सोरेन परिवार, राजेंद्र सिंह समेत अन्य प्रमुख रहे हैं। लेकिन, इस बार कुछ नए चेहरे भी सामने आएंगे।
सबसे पहले शिबू सोरेन परिवार की चर्चा करते हैं। इस परिवार से दो बेटा व दो बहुएं चुनाव लड़ रहीं हैं।
शिबू सोरेन के परिवार से इस बार चार सदस्य चुनावी दंगल में उतरे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और छोटे भाई बसंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर क्रमशः बरहेट, गांडेय और दुमका से चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं, शिबू सोरेन की बड़ी पुत्र वधु और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन बीजेपी के टिकट पर जामताड़ा से चुनाव लड़ रही हैं।
हालांकि 6 महीने पहले तक वह झामुमो की ही विधायक थीं। पर बीते लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था।
सत्यानंद भोक्ता परिवार – बहू रश्मि की चतरा से एंट्री
इंडी गठबंधन में परिवारवाद की परंपरा का सबसे चौंकाऊ नाम रश्मि प्रकाश भोक्ता है। श्रम नियोजन मंत्री व राजद नेता सत्यानंद भोक्ता का टिकट कट चुका है। उनकी जगह उनका परिवार चतरा सीट से राजनीति में एंट्री ले चुका है।
सत्यानंद की बहू रश्मि प्रकाश को राजद ने चतरा से अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में अब सत्यानंद भोक्ता की दूसरे सीट से लड़ने की संभावना लगभग खत्म हो गई है।
समरेश सिंह परिवार – बहू श्वेता सिंह फिर दंगल में उतरेंगीः
एक जमाने में भाजपा के कद्दावर नेता रहे समरेश सिंह की बहू कांग्रेस नेता श्वेता सिंह भी बोकारो सीट से भाग्य आजमाने का प्रयास कर रही हैं। 2019 के विस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर भाजपा के वर्तमान विधायक विरंची नारायण को कड़ी टक्कर दी थी।
राजेंद्र सिंह परिवार – एक बेटा विधायक, दूसरा कतार में:
कांग्रेस के पूर्व मंत्री स्व. राजेंद्र सिंह का परिवार भी इस बार राजनीति में अपना दायरा बढ़ा सकता है। उनके बड़े पुत्र अनूप सिंह बेरमो से विधायक हैं। उन्हें स चुनाव में भी टिकट मिल चुका है।
दूसरे पुत्र गौरव सिंह इस बार बोकारो से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। जबकि अनूप की पत्नी अनुपमा सिंह भी बोकारो से ही टिकट की दावेदार हैं।
वैसे कांग्रेस में परिवारवाद की परंपरा नई नहीं है। झारखंड में भी इसके उदाहरण देखने को मिलते रहे हैं। पूर्व विधायक बंधु तिर्की की पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की अभी मांडर से कांग्रेस की विधायक है। इस चुनाव में भी वह जोर लगाती दिखेंगी।
इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की पुत्री अंबा प्रसाद बड़कागांव से कांग्रेस विधायक हैं, जिन पर इस बार भी भरोसा करते हुए पार्टी ने टिकट दिया है।
राजनीतिक परिवार के कुछ नए चेहरे चुनावी मैदान में दिखेंगेः
इस बार पहले से झारखंड की राजनीति में स्थापित परिवारों के कुछ नए सदस्य भी विधानसभा चुनाव के मैदान में दिखेंगे। इनमें दुमका से सांसद झामुमो के नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन शिकारीपाड़ा से झामुमो के टिकट पर चुनाव चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
वहीं झामुमो सांसद जोबा मांझी के पुत्र जगत मांझी को पार्टी ने उनकी मां की सीट मनोहरपुर से टिकट दिया है। इसी तरह वित्त मंत्री व कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ. रामेश्वर उरांव के पुत्र रोहित उरांव का लोहरदगा सीट से चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है।
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