Marang Buru Bachao Sangharsh Samiti:
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कांके रोड स्थित आवासीय कार्यालय में मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) का 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मिला। समिति ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए पारसनाथ पर्वत (मरांङ बुरू), गिरिडीह को संथाल आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में संरक्षित करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह स्थल प्राचीन काल से संथाल समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि मरांङ बुरू के संरक्षण, प्रबंधन और निगरानी की जिम्मेवारी ग्राम सभा को दी जाए।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार इन मांगों पर विधिसम्मत कार्रवाई करेगी। समिति ने मरांङ बुरू सहित अन्य आदिवासी धार्मिक स्थलों जैसे लुगू बुरू, जाहेर थान, माँझी थान, मसना, और हड़गड़ी की रक्षा के लिए एक विशेष “आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम” बनाए जाने की मांग की।
Marang Buru Bachao Sangharsh Samiti: प्रतिनिधिमंडल ने लगाया आरोप
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी आरोप लगाया कि जैन समुदाय द्वारा पारसनाथ क्षेत्र में अवैध निर्माण किए गए हैं, जिन्हें अतिक्रमण से मुक्त कराया जाना चाहिए। इसके अलावा, समिति ने मरांङ बुरू युग जाहेर और वाहा-बोंगा पूजा जैसे पर्वों को राजकीय महोत्सव का दर्जा देने की भी मांग रखी।
Marang Buru Bachao Sangharsh Samiti: समिति का कहना
समिति का कहना है कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, विभिन्न कोर्ट के फैसलों और सर्वे भूमि अधिकार अभिलेखों में संथाल समुदाय के अधिकार पहले से ही मान्य हैं। इसलिए सरकार को इस दिशा में त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई करनी चाहिए।
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