रांची। शराब घोटाले में अब ईडी की एंट्री हो गई है। एसीबी झारखंड द्वारा दर्ज एफआईआर को ईडी ने अपने इंफोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट यानी ईसीआईआर में जोड़ लिया है। इसी केस में एसीबी ने 20 मई को उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
Liquor Scam: गिरफ्तार आरोपियों को रिमांड पर लेगी ईडीः
अब ईडी गिरफ्तार सभी आरोपियों को रिमांड पर लेकर पीएमएलए के तहत पूछताछ करेगी। पूछताछ के लिए ईडी को कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। ईडी के इस केस को पुराने ईसीआईआर में जोड़ने से शराब घोटाला में जल्द नया मोड़ आ सकता है। क्योंकि, ईडी पिछले एक साल से उत्पाद नीति 2022 को लेकर झारखंड और छत्तीसगढ़ कनेक्शन को खंगाल रही है।
Liquor Scam: एसीबी ने पांच अफसरों को भेजा नोटिसः
एसीबी ने उत्पाद विभाग के पांच अफसरों को नोटिस भेजा है। इनमें धनंजय कुमार, उमाशंकर सिंह, छीपिज त्रिवेदी, विनय कुमार सिंह और उपेंद्र शर्मा शामिल हैं। इनसे 38 करोड़ रुपए के राजस्व घोटाले के संबंध में पूछताछ की जाएगी। एसीबी पूर्व सचिव विनय चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार व प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है।
Liquor Scam: फर्जी बैंक गारंटी से 38 करोड़ रुपए का हुआ है नुकसानः
एसीबी ने फर्जी बैंक गारंटी की वजह से सरकार को 38.44 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान होने की प्राथमिकी दर्ज की है। जिसमें 13 पर नामजद व अन्य पर केस दर्ज किया गया। एसीबी को जांच में जानकारी मिली है कि विनय चौबे और गजेंद्र सिंह ने पद का दुरुपयोग कर ऐसी प्लेसमेंट एजेंसियों को ठेका दिया, जिन्होंने फर्जी बैंक गांरटी दी। इससे झारखंड सरकार को 38.44 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
Liquor Scam: रायपुर में भी ईडी कर चुका है ईसीआईआर दर्जः
शराब घोटाले में इससे पहले 7 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित आर्थिक अपराध इकाई यानी ईओडब्ल्यू थाना में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इसमें विनय चौबे, गजेंद्र सिंह के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुण पति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, प्लेसमेंट एजेंसी सुमित फैसिलिटीज सहित अन्य को आरोपी बनाया गया था। इस केस में ईडी ने नया ईसीआईआर दर्ज किया था। इसके बाद 29 अक्टूबर 2024 को ईडी ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी।
इन ठिकानों से उत्पाद नीति 2022 से जुड़े कई अहम दस्तावेज, मोबाइल फोन और कई अन्य कागजात जब्त किए गए थे। ईडी इस मामले में जांच कर ही रही थी कि एसीबी झारखंड ने 20 मई को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करते हुए दो बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अगले दिन 21 मई को फिर तीन लोगों की गिरफ्तारी की गई।
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