रांची। झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर राज्य के आला अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें मुख्य सचिव एल ख्यिांगते, गृह सचिव वंदना दादेल और संथाल परगना के छह जिलों (पाकुड़, साहिबगंज, दुमका, देवघर, जामताड़ा व गोड्डा) के डीसी और एसपी शामिल हुए।
इस मौके पर महाधिवक्ता राजीव रंजन भी मौजूद थे। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि केंद्र सरकार से पूछा जाए कि बांग्लादेशी घुसपैठियों ढूंढने के लिए किस दस्तावेज को आधार बनाया जाए।
हाईकोर्ट द्वारा सरकार को दिए गए निर्देश पर भी चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने डीसी-एसपी से कहा कि अवैध घुसपैठिए की पहचान थाना स्तर पर करें। उन्होंने छह जिले में एक नोडल अफसर बनाने का निर्देश दिया।
नोडल अफसर घुसपैठ को लेकर पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग के साथ समन्वय करेगा।
बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि डीसी-एसपी से कहा गया है कि वे पिछले 2 वर्ष के वैसे कागजातों की जांच करें, जिसमें बांग्लादेशी घुसपैठ की सूचना मिली हो। और क्या कार्रवाई हुई।
पिछले माह हाईकोर्ट ने अफसरों को लगाई थी कड़ी फटकार
बांग्लादेशी घुसपैठ पर पिछले माह झारखंड हाईकोर्ट ने अफसरों को फटकार लगाई थी। कहा था कि कोर्ट को गुमराह न करें।
डीसी की जगह कनीय अधिकारियों द्वारा शपथपत्र दाखिल करने पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के डीसी को दोबारा शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में निर्देश दिया था कि आपसी सामंजस्य से बांग्लादेश की तरफ से आने वाले घुसपैठियों को चिह्नित कर उन्हें वापस भेजने की एक कार्य योजना तैयार कर काम करें।
मौखिक टिप्पणी में कोर्ट ने कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठिए आपकी जमीन पर रह रहे हैं। वे तमाम सुविधा उठा रहे हैं। इनको चिह्नित करना होगा और वापस बांग्लादेश भेजना होगा।
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