जमीन कब्जे की बात सरासर गलत, मनी लांड्रिंग का मामला भी नहीं बनता
रांची। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हेमंत सोरेन की ओर से कोर्ट में वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बहस की।
उन्होंने अपनी दलील देते हुए कहा कि बड़गाईं में 8.86 एकड़ जमीन भुईहरी प्रकृति की है, जिसका हस्तांतरण नहीं किया जा सकता है।
इसका मालिकाना हक हेमंत सोरेन के पास नहीं है और इस पर उनके कब्जे की बात भी गलत है।
ईडी के पास सबूत नहीं होने का दावा
ईडी के पास भी इस संबंध में कोई दस्तावेज नहीं है। यह आपराधिक मामला नहीं, बल्कि सिविल मामला है।
उन्होंने यह भी कहा कि जमीन पर अवैध कब्जा पीएमएलए में शेड्यूल ऑफेंस के अंतर्गत नहीं आता है।
यह मामला प्रिडिकेट ऑफिस का भी नहीं है। प्रिडिकेट ऑफिस के लिए पैसे का जेनरेशन होना चाहिए था, जो नहीं हुआ है।
ईडी कह रही है कि हेमंत सोरेन वर्ष 2009-10 से ही उक्त जमीन पर काबिज थे। लेकिन, उस समय इस संबंध में कोई शिकायत या प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी।
ईडी ने बड़गाईं के अंचल अधिकारी, राजस्व कर्मचारी और कुछ लोगों से जमीन पर उनके कब्जे के संबंध में बयान लिया था।
जबकि 29 जनवरी 2024 को जमीन पर कब्जा जमीन मालिक राजकुमार पाहन के पास था।
31 जनवरी को हेमंत सोरेन हुए थे गिरफ्तार
रांची के बड़गाईं अंचल में कथित लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी 2024 को ईडी ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था।
इससे पहले उनसे लंबी पूछताछ हुई थी। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के पहले उनके दिल्ली स्थित कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।
इसे भी पढ़ें