रांची। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (27 नवंबर) को देवघर एयरपोर्ट मामले में भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी व अन्य के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य से कहा कि वह अपने इस तर्क के समर्थन में निर्णय प्रस्तुत करें कि पूर्व अनुमति के बिना भी जांच जारी रह सकती है।
झारखंड हाईकोर्ट ने इस आधार पर प्राथमिकी रद्द कर दी थी कि विमान (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार, कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि जांच के चरण में मंजूरी का सवाल नहीं उठेगा, बल्कि शिकायत दर्ज करने के चरण में ही उठेगा, जब अदालत को शिकायत का संज्ञान लेना होगा।
इसलिए प्रतिबंध जांच के चरण में नहीं, बल्कि आरोप पत्र दाखिल करने और जांच पूरी होने के बाद लागू होगा। इसके बाद कोर्ट ने इस तर्क का समर्थन करने के लिए निर्णय मांगे।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि इसी तरह के मामलों में, ऐसे निर्णय हैं जो यह मानते हैं कि संज्ञान लेने से पहले जांच की जा सकती है और उस सामग्री का उपयोग शिकायत दर्ज करने के लिए किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 18 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
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