रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सिर्फ लिंग के आधार पर महिला उम्मीदवार को रोजगार से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के प्रावधानों के खिलाफ है।
दरअसल वर्ष 2005 में याचिकाकर्ता शिप्रा तिवारी के पिता ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को याचिकाकर्ता के पिता के आश्रित को मुआवजे के साथ-साथ रोजगार मुहैया करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट के इस आदेश को ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने एलपीए दायर कर चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी याचिकाकर्ता को रोजगार नहीं दिया गया, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का रुख किया।
सुनवाई के दौरान शिप्रा तिवारी की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता ने कोर्ट को यह बताया कि महिला को रोजगार से वंचित करने का आधार यह था कि केवल पुरुष उम्मीदवारों को ही रोजगार प्रदान किया जा सकता है। जिसके बाद अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सिर्फ लिंग के आधार पर किसी महिला को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई।
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