CM Hemant Soren : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार
मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के एकृएक लाभुक की पहचान करने जा रही है। इसकी योजना तैयार हो गई है। लाभार्थियों की पहचान को और भी पुख्ता करने के लिए महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग अब राशन कार्ड का सत्यापन कराएगा। इसके लिए विभाग खाद्य आपूर्ति विभाग से राशन कार्ड पोर्टल के एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (एपीआई) के इस्तेमाल की अनुमति लेगा। विभाग अन्य सॉफ्टवेयर इंटरफेस जैसे एनपीसीआई, एनआईसी और पीएफएमएस से भी लाभार्थियों की जांच करेगा। इस दौरान कार्ड में दर्ज एक-एक व्यक्ति की पहचान की जायेगी।
CM Hemant Soren: क्या-क्या होगाः
इससे यह पता चलेगा कि महिला लाभार्थी 18 से 50 वर्ष की हैं या नहीं, झारखंड की निवासी हैं या नहीं और उनका राशन कार्ड आधार से जुड़ा है या नहीं। हाल ही में पश्चिम बंगाल के एक व्यक्ति ने इस योजना का लाभ लेने के लिए एक ही बैंक खाते से 95 बार आवेदन किया था। इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।
CM Hemant Soren: अब राशन कार्ड से मंईयां सम्मान योजना का सत्यापनः
मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना में अब राशन कार्ड का सत्यापन होगा। महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग यह काम करेगा। वे लाभार्थियों की सही पहचान करना चाहते हैं। इसके लिए वे खाद्य आपूर्ति विभाग से मदद लेंगे। वे राशन कार्ड पोर्टल के एपीआई का इस्तेमाल करेंगे।
एपीआई का मतलब है एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस। इससे उन्हें राशन कार्ड की जानकारी मिलेगी। विभाग दूसरे सॉफ्टवेयर से भी जांच करेगा। वे एनपीसीआई, एनआईसी और पीएफएमएस का इस्तेमाल करेंगे। इससे पता चलेगा कि लाभार्थी महिला की उम्र 18 से 50 साल है या नहीं। यह भी पता चलेगा कि वह झारखंड की रहने वाली है या नहीं। जांच में यह भी देखा जाएगा कि लाभार्थी का राशन कार्ड आधार से जुड़ा है या नहीं।
CM Hemant Soren: एक बैंक खाते से 95 बार आवेदन की शिकायतः
कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल के एक आदमी ने गड़बड़ी की थी। उसने एक ही बैंक खाते से 95 बार आवेदन किया था। वह इस योजना का गलत फायदा उठाना चाहता था। इसलिए सरकार अब ज्यादा सावधानी बरत रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 6 जनवरी को दिसंबर महीने के लिए 56 लाख 61 हजार महिला लाभार्थियों के खाते में 1415 करोड़ 45 लाख रुपये ऑनलाइन भेजे थे। वहीं होली के समय लगभग 38 लाख महिला लाभार्थियों के खाते में पैसे भेजे गए थे। इन सभी के बैंक खाते आधार से जुड़े हुए थे। पहले, आधार से जुड़े खाते में ही पैसे भेजे जाते थे। लेकिन, बाद में कैबिनेट ने बिना आधार से जुड़े खाते में भी पैसे भेजने की अनुमति दे दी। यह फैसला सिर्फ मार्च तक के लिए था। बाकी बचे लाभार्थियों के खाते में तीन महीने के 7500 रुपये भेजे जा चुके हैं।
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