आदिवासी महोत्सव के उद्घाटन पर बोले राज्यपाल
रांची। राज्यपाल संतोष गंगवार ने शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में आयोजित राजकीय महोत्सव का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य में पेसा कानून जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया।
राज्यपाल ने अपने भाषण में कहा कि जनजातीय समुदाय की पारंपरिक शासन व्यवस्था की मजबूती के लिए राज्य में पेसा कानून लागू किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में देश में झारखंड एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पेसा कानून लागू नहीं है।
मैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह करता हूं कि वह जल्द ही इसे राज्य में लागू कराएं। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि आदिवासी समुदाय में दहेज प्रथा जैसी चीजें नहीं है। लेकिन विडंबना यह है कि जनजातीय समाज में डायन प्रथा जैसी कुरीतियां अब भी हैं। जन जागरण लाकर इसे दूर करने की आवश्यकता है।
शिक्षा के प्रति जागरूक बने
राज्यपाल ने कहा- मैं सभी से आग्रह करता हूं कि शिक्षा के प्रति और जागरूक बनें। शिक्षा किसी भी समाज के सामाजिक तथा आर्थिक प्रगति में महती भूमिका निभाती है।
उन्होंने कहा कि ये दिन हम सब के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपराएं और उनके अतिथि योगदान का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है।
आज मुझे यहां उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
मैं इस अवसर पर देश के कलाकारों, शिल्पकारों और चित्रकारों का हार्दिक स्वागत करता हूं। जिन्होंने मौसम खराब होने के बावजूद भी इस महोत्सव को सफल बनाने में अपना योगदान दिया है।
पीएम का आभार जताया
राज्यपाल ने कहा कि 31 जुलाई को मुझे इस राज्य के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने का सौभाग्य मिला।
भगवान बिरसा मुंडा पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं। मैं पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता हूं कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
झारखंड वीरों की भूमि है। यहां सिद्दो-कान्हों, चांद भैरव, फूलो झानो ने अपनी प्राणो की आहूति दे दी। उन सबों के प्रति अपना श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।
हमारे जनजातीय समुदाय का इतिहास गौरवशाली है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका आद्वितीय है। और उनकी वीरता और पराक्रम की गाथाएं भावी पीढि़यों के लिए प्रेरणा स्रोत है। और वास्तव में ये समाज ही हमारी देश की पहचान है और देश को आगे ले जाने की दिशा में काम करता है।
शिक्षा स्वास्थ्य पर काम करने की आवश्यकता
राज्यपाल ने कहा कि जनजातियों का सरंक्षण कला, संस्कृति, लोकसाहित्य और रीति रिवाज ना केवल हमारे देश बल्कि पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है। झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता में आबादी समुदाय का 27 प्रतिशत हिस्सा है।
32 प्रकार की अनुसूचित जातियां यहां रहती हैं। जिनमें 8 जातियां पीवीटीजी है। ये समाज हमारे समाज का विभिन्न हिस्सा है। इन्होंने हमारे देश को विविधता में और भी समृद्ध किया है। हालांकि आज आदिवासी समुदाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार जैसे मुद्दों पर हमें और अधिक काम करने की आवश्यकता है। हमारे आदिवासी भाई बहनों को सरकार द्वारा चलाई जा रही है कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे।
हम सभी को आदिवासी समुदाय की संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। हमें इस सरंक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए।
पीईएसए कानून लागू की जाने चाहिए
सरकार द्वारा इस दिशा में की छात्रवृति योजना लागू है। इसका लाभ समय पर मिलना चाहिए। इतिहास इस बात का गवाह है कि हमारे आदिवासी समाज के की लोगों ने विषम परिस्थियों में शिक्षा हासिल की।
देश की राष्ट्रपति और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विषम परिस्थिति में शिक्षा ग्रहण की और वो अपने गांव की पहली महिला बनी जिन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया। ये सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
मित्रों जनजाति समुदाय के पारंपरिक शासन व्यवस्था को राज्य में लागू किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में देश में झारखंड एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पीईएसए कानून लागू नहीं है। मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह करता हूं कि वह जल्द ही इसे राज्य में लागू कराए।
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