Liquor scam in Jharkhand:
रांची। एसीबी ने शराब घोटाला मामले में अब शिकंजा कस दिया है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के दो पूर्व सचिव आईएएस अधिकारी मनोज कुमार व मुकेश कुमार से लगातार दो दिनों तक लंबी पूछताछ की गई है। गुरुवार को भी दोनों से करीब पांच घंटे तक एसीबी कार्यालय में पूछताछ चली।
शुक्रवार को भी होगी पूछताछः
एसीबी ने दोनों अधिकारियों को एक बार फिर शुक्रवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। एसीबी ने वर्तमान में महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव मनोज कुमार से पूछा कि आपके कार्यकाल में जब दोनों प्लेंसमेंट एजेंसियों द्वारा फर्जी बैंक गारंटी दिए जाने का मामला उजागर हो गया था तो उक्त मामले में संबंधित व्यक्तियों पर प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई। लेकिन, एसीबी के इस सवाल पर मनोज कुमार संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए। मनोज कुमार से गुरुवार को लगातार दूसरे दिन पूछताछ हुई।
38 करोड़ के राजस्व का नुकसानः
बताते चलें कि एसीबी ने शराब घोटाला मामले में 20 मई को प्राथमिकी दर्ज की थी। जिसमें यह आरोप है कि दोनों प्लेसमेंट एजेंसियों विजन हॉस्पिटैलिटी और मार्शन इनोवेटिव ने अधिकारियों के साथ मिली भगत कर फर्जी बैंक दस्तावेज देकर सरकार को 38.44 करोड़ रुपए का राजस्व का नुकसान पहुंचाया।
200 करोड़ के राजस्व की कमी पर भी चुप्पी क्योः
एसीबी ने मनोज कुमार से पूछा कि फर्जी बैंक गारंटी की जानकारी सामने आने के बाद जब अगले 9 महीने के दौरान 200 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व की कमी के आंकड़े सामने आए। इसपर विभाग ने प्लेसमेंट एंजेसियों को डिमांड नोटिस जारी किया, लेकिन गारंटी के नकदीकरण के लिए मामला भेजने या बैंकिंग चैनलों के माध्यम से वसूली करने में क्यों विफल रहा। क्या विभागीय अधिकारियों और निजी संस्थाओं के बीच जान बूझकर मिली भगत से ऐसा किया गया। मुकेश कुमार भी इस सवाल का जवाब स्पष्ट रूप से नहीं दे पाए। इसलिए उन्हें भी शुक्रवार को एक बार फिर एसीबी ने पूछताछ के लिए बुलाया है।
विनय सिंह के साथ भी लेन-देन की जांच एसीबी कर रहीः
एसीबी को शराब घोटाले के अनुसंधान के दौरान यह भी जानकारी मिली है कि इस मामले में आरोपी नेक्सजेन आटोमोबाइल के मालिक विनय सिंह ने निलंबित आईएएस विनय चौबे के परिजनों के साथ भी करोड़ों का लेन देन किया। एसीबी ने जांच में पाया है कि विनय चौबे के साले शिपिज त्रिवेदी व शिपिज की पत्नी प्रियंका त्रिवेदी के पीएनबी मेन रोड शाखा स्थित खाते में 2011 से 2014 के बीच कई बार लाखों रुपये के लेन-देन हुए हैं। लेन-देन नकदी में भी होने के साक्ष्य एसीबी को मिले हैं। जिसकी विस्तृत जांच अब एसीबी कर रहा है।
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