रांची। CAG (Comptroller and Auditor General of India) भारत में एक संवैधानिक संस्था है, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है। इसका प्रमुख कार्य केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली आय और व्यय की जांच करना है। इसके अतिरिक्त, CAG सरकारी कंपनियों, स्वायत्त संस्थाओं और उन संगठनों का भी ऑडिट करता है, जिन्हें सरकार से वित्तीय सहायता मिलती है। इसे “सार्वजनिक धन का संरक्षक” भी माना जाता है, क्योंकि यह यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी धन का सही तरीके से उपयोग हो रहा है।
CAG की नियुक्ति प्रक्रिया
CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और इसका कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की उम्र तक, जो भी पहले हो, होता है। CAG को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तरह होती है, यानी इसे हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों से विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करना होता है। यह प्रक्रिया CAG की स्वतंत्रता सुनिश्चित करती है, जिससे वह बिना किसी दबाव के सरकार के वित्तीय मामलों पर निगरानी रख सकता है। वर्तमान में संजय मूर्ति CAG का पद संभाल रहे हैं, जिन्होंने 21 नवंबर 2024 को यह जिम्मेदारी ली।
कैग के क्या हैं प्रमुख कार्य?
CAG का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी धन का उपयोग पारदर्शी और वैधानिक तरीके से हो। यह कार्यपालिका को विधायिका के प्रति जिम्मेदार बनाता है और लोकतंत्र में वित्तीय जवाबदेही को मजबूती प्रदान करता है। CAG द्वारा की जाने वाली ऑडिट प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी खर्चों में कोई गड़बड़ी या अनियमितता न हो।
कैग रिपोर्ट्स पर कब- कब आया है सियासी भूचाल
CAG की रिपोर्ट्स कई बार बड़े घोटालों को उजागर करने में अहम रही हैं। 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला और कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में CAG की रिपोर्ट्स ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। सीएजी की रिपोर्ट्स न केवल वित्तीय अनियमितताओं को सामने लाती हैं, बल्कि नीतियों में सुधार के लिए सुझाव भी देती रही हैं।
सीएजी की रिपोर्ट्स न केवल वित्तीय अनियमितताओं को सामने लाती हैं, बल्कि नीतियों में सुधार के लिए सुझाव भी देती रही हैं।
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