साल 2000, बिहार से अलग हो कर एक राज्य बना जिसका नाम “झारखंड” पड़ा। झारखंड का अर्थ है “जंगलों की भूमि”। प्रकृति के गोद में बसा झारखंड, सांस्कृतिक धरोहर, खनिज संसाधन, खेल, कला, और सामाजिक विकास से विभिन्न क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। झारखंड अपने प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृति और कला से पर्यटकों को आकर्षित करता हैं।
झारखंड अपने खनिज और उद्योग संसाधनों के लिए जाना जाता है।इस राज्य को कोयला, लोहा, बॉक्साइट और अन्य खनिजों का प्रमुख उत्पादक माना जाता है। इसके साथ ही, यहां स्टील, पावर, और सीमेंट जैसे प्रमुख उद्योग भी स्थित हैं। जमशेदपुर, रांची और बोकारो जैसे शहर उद्योग के महत्वपूर्ण केंद्र हैं, जहां टाटा स्टील जैसी कंपनी स्थित हैं। झारखंड ने खेल के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया है, खासकर हॉकी और क्रिकेट में।
हॉकी की बात करे तो राज्य ने देश को कई प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी दिए हैं जैसे धनराज भगत, जफर इकबाल, और बिक्रम प्रधान, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। क्रिकेट के दुनिया में महेंद्र सिंह धोनी एक ऐसा नाम है जिन्होंने अपनी उपलब्धियों से न केवल झारखंड राज्य का बल्कि विश्व में पहचान दिलाई है।
झारखंड की सांस्कृतिक और लोक परंपराएं
झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर बहुत समृद्ध है, जिसमें आदिवासी और लोक परंपराओं का अद्भुत मिश्रण है। राज्य के प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य रूपों में छऊ नृत्य, कर्मा नृत्य, और संथाली नृत्य शामिल हैं। राज्य में तसर सिल्क जैसी हस्तशिल्प परंपराएं भी प्रचलित हैं।
पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे मंदार, ढोल, और शहनाई झारखंड की सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा हैं। झारखंड में कई आदिवासी समुदाय रहते हैं, जिनमें संथाल, मुंडा, और उरांव प्रमुख हैं। इन समुदायों की संस्कृति और धरोहर इनकी पहचान है।
प्राकृतिक संसाधन और पर्यटन क्षेत्र
झारखंड राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, जिसमें घने जंगल, झरने और वन्यजीव प्रमुख हैं। यह राज्य पर्यटकों को अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थलों से आकर्षित करता है।
यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में बेतला नेशनल पार्क, दसम फॉल्स,लोध फॉल्स ,पारसनाथ हिल,नेतरहाट और बैद्यनाथ धाम शामिल हैं, जो न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखते हैं।
झारखंड के शिक्षा क्षेत्र में प्रमुख व्यक्तित्वों की अहम भूमिकाएं
झारखंड के शिक्षा क्षेत्र में कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने अपनी अहम भूमिकाएं अदा की हैं। इनमें से सबसे पहले नाम आता है डॉ. एल. पी. विद्यार्थी का, जो एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफ़ेसर थे। इनके काम की बात करें तो इन्होंने “बूस्ट ट्राइब” पर खोज किया और इसके माध्यम से झारखंड को न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई।
इसके अलावा, डॉ. राम दयाल मुंडा, जो एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफ़ेसर और आदिवासी भाषाओं के बड़े साहित्यकार थे। इसी तरह, डॉ. वचनदेव कुमार, जो हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे, और प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अली, जो भूगोल के जानकार थे। प्रोफ़ेसर के. के. नाग, जो बॉटनी के प्रसिद्ध विशेषज्ञ थे, उन्होंने भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। इस प्रकार, न जाने कितने व्यक्तियों ने शिक्षा क्षेत्र में अपना योगदान दिया है और दे रहे हैं।
झारखंड ने हर पहलू में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर झारखंड के विकास की यात्रा को देखें, तो यह स्पष्ट है कि इस राज्य ने अपने प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और मानव संसाधनों का सही दिशा में उपयोग किया है। आगे भी, झारखंड का यह योगदान समाज और देश की प्रगति में अहम रहेगा, और यह राज्य विकास और समृद्धि की ओर निरंतर आगे बढ़ता रहेगा।
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