रांची। नये शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होते ही निजी स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है।
निजी स्कूल री-एडमिशन, डेवलपमेंट फंड, खास दुकान से पुस्तक व ड्रेस खरीद का खेल शुरू हो गया है।
झारखंड छात्र संघ अब इसके विरोध में सामने आया है। संघ ने कहा है कि इन सबके लिए अभिभावकों को बाध्य् नहीं किया जा सकता।
इस मामले के खिलाफ रोक और नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग को लेकर संघ ने शिक्षा सचिव को पत्र लिखा है।
इसके साथ ही इसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी दी है। झारखंड छात्र संघ के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में संचालित सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड और बिना मान्यता के चल रहे स्कूल में इस तरह से अभिभावकों पर दवाब बनाया जा रहा है।
इसके साथ ही ऐसी संस्थाए आरटीई एक्ट 13 (1) (2) का खुलेआम उल्लंघन कर रही है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के अभिभावकों से री-एडमिशन, विकास शुल्क, वार्षिक व बिल्डिंग शुल्क, वार्षिक कार्यक्रम समेत अन्य के नाम पर मोटी वसूली की जा रही है।
यही नहीं एनसीइआरटी की किताबों का संचालन करने के बजाए निजी प्रकाशकों की मंहगी किताबें, जो हर वर्ष बदल दी जाती है, खास दुकानदारों से लेने के लिए ही बाध्य किया जाता है।
यही व्यवस्था छात्रों के ड्रेस लेने को लेकर भी है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की इस मनमानी और तानाशाही के चलते अभिभावक परेशान है।
अभिभावक इस परेशानी को नहीं बोलते है, क्योंकि उनके बच्चों की नामांकन कहीं कट ना जाए।
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