रांची। पड़ताल के इस एपिसोड में हम बात करेंगे उच्च शिक्षा की। उच्च शिक्षा की व्यवस्था ऐसी बेपटरी हुई है कि राज्य के युवा खुद को छला महसूस कर रहे हैं। जेपीएससी अध्यक्ष का पद खाली है और कई परीक्षाओं के रिजल्ट अटके हुए हैं।
वहीं शिक्षकों की कमी के कारण कालेजों में पठन पाठन प्रभावित है। कालेजों में प्राचार्यों के पद खाली रहने से उच्च शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। कहने का मतलब है कि झारखंड में उच्च शिक्षा और नौकरी देने वाली संस्थाएं प्रभार पर हैं।
पर इस ओर राज्य सरकार का ध्यान ही नहीं है। सरकार नई नई योजनाएं तो लांच कर रही है, करोड़ों बांट भी रही है, पर बेपटरी शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कुछ नहीं किया गया।
नौकरी देनेवाली संस्थाएं भी प्रभार मेः
गजेटेड और नॉन गजेटेड पदों पर नियुक्ति की जिम्मेदारी झारखंड लोकसेवा आयोग यानी जेपीएससी और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग यानी जेएसएससी के पास है। जेएसएससी में प्रभारी अध्यक्ष है तो जेपीएससी अध्यक्ष का पद करीब दो महीने से खाली है।
निवर्तमान अध्यक्ष एम नीलिमा केरकेट्टा का कार्यकाल 22 अगस्त को खत्म हुआ था। इसके बाद से इस पद पर नियुक्ति नहीं हुई है। इससे नियुक्ति परीक्षाएं, सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट और इंटरव्यू अटका हुआ है।
4 यूनिवर्सीटी में वीसी के पद खाली, कालेजों में प्राचार्य नहीः
उधर, राज्य के चार विश्वविद्यालयों में कुलपतियों का पद भी करीब दो साल से खाली पड़ा है। वहीं करीब 70 फीसदी सरकारी कॉलेजों को प्रिंसिपल का इंतजार है। शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पदों पर भी पिछले तीन दशक से नियुक्ति नहीं हुई है।
यही नहीं, यूनिवर्सिटी शिक्षकों के भी 40 फीसदी पद खाली है। इसका सीधा असर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के प्रशासनिक व एकेडमिक कार्य पर पड़ रहा है। यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार पढ़ाई हो रही है।
लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रहा है। शिक्षाविदों का कहना है कि शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति किए बिना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्य को पूरा नहीं किया जा सकता है।
जेपीएससी… असिस्टेंट प्रोफेसर का इंटरव्यू भी लटक गयाः
जेपीएससी 11वीं से 13वीं सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा 22 से 24 जून तक हुई थी। इसकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो चुका है। लेकिन अध्यक्ष का पद खाली होने के कारण रिजल्ट अटका हुआ है। वन विभाग के रेंज अफसरों की नियुक्ति प्रक्रिया भी बाधित है।
सीडीपीओ की प्रारंभिक परीक्षा भी हो चुकी है। लेकिन रिजल्ट जारी नहीं हुआ है। आधा दर्जन से अधिक विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसर का इंटरव्यू भी बाधित है। फूड सेफ्टी अफसर की नियुक्ति भी नहीं हो पा रही है।
उधर रिजल्ट का इंतजार कर रहे बेरोजगार युवा खुद को छला महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि हेमंत सोरेन ने पिछले चुनाव में युवाओं के लिए बढ़चढ़ कर वादे किये थे। परंतु सरकार बनने के बाद युवा खुद को छला ही महसूस कर रहे हैं।
जानिए… कहां कितने पद हैं खालीः
सभी 17 सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्राचार्य के पद खाली हैं। ये कॉलेज प्रभार पर चल रहे हैं। झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी में भी कुलपति को छोड़कर अधिकारियों और कर्मचारियों के सभी 91 पद रिक्त हैं।
- रांची यूनिवर्सिटी : प्रो. वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस अफसर, असिस्टेंट रजिस्ट्रार।
- कोल्हान यूनिवर्सिटी : फाइनेंस अफसर, डिप्टी रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार।
- विनोबा भावे यूनिवर्सिटी : वाइस चांसलर, प्रो. वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस अफसर, डिप्टी रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार।
- नीलांबर-पीतांबर यूनिवर्सिटी : वाइस चांसलर, प्रो. वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनांस अफसर, डिप्टी रजिस्ट्रार।
- सिदो-कान्हू मुर्मू यूनिवर्सिटी : वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस अवसर, एग्जाम कंट्रोलर।
- डीएसपीएमयू : असिस्टेंट रजिस्ट्रार।
- विनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी : रजिस्ट्रार।
- वीमेंस यूनिवर्सिटी जमशेदपुर : रजिस्ट्रार, एग्जाम कंट्रोलर।
- झारखंड रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी : वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस अफसर, असिस्टेंट रजिस्ट्रार समेत अन्य पद।
कुलपति… नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई पर रद्द हो गया विज्ञापन
राज्य में सितंबर 2022 में चार विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी। आवेदन लेने के 10 महीने बाद आवेदकों का इंट्रैक्शन भी हुआ। लेकिन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गाइडलाइन के अनुसार विज्ञापन न होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया।
फिर इस पद के लिए दोबारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन अभी तक लंबित है। गौरतलब है कि प्रभारी कुलपतियों को नीतिगत निर्णय लेने पर राजभवन ने रोक लगा रखी है। वे किसी शिक्षक का तबादला भी नहीं कर सकते।
ऐसे हालात उच्च शिक्षा के लिए खतरनाकः प्रो केके नाग
रांची यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी प्रो केके नाग का मानना है कि विश्वविद्यालयों में स्थाई की जगह एडहॉक पर शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है, जो उच्च शिक्षा के लिए खतरनाक है।
उच्च शिक्षा को गति देने के लिए स्थाई नियुक्ति जरूरी है। जेपीएससी में अध्यक्ष पद खाली रहना उचित नहीं है। इससे नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण काम प्रभावित हो रहे हैं।
इसे भी पढ़ें