नयी दिल्ली : दिल्ली दरबार, मुकुट, ताज और बहुचर्चित कोहिनूर। जैसे ही महाराजा चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के लिए मंच तैयार हुआ, एक बार फिर औपनिवेशिक इतिहास और भारत, तथा उसके संबंधों की कड़ियां जोड़कर देखी जाने लगीं। महाराजा चार्ल्स तृतीय का शनिवार को लंदन के वेस्टमिंस्टर एब्बे में औपचारिक तौर पर राज्याभिषेक होगा। उनके परदादा महाराजा जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक समारोह के 112 साल बाद यह समारोह होगा। महाराजा जॉर्ज पंचम एक मात्र ब्रिटिश राजा थे जो बाद में दिल्ली में अपने राज्याभिषेक दरबार में शामिल होने के लिये भारत आए।
चार्ल्स तृतीय के छह मई को होने वाले राज्याभिषेक से पहले एक बार फिर कोहिनूर हीरे और कुछ जवाहरातों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है जो अब भी ब्रिटिश शाही परिवार के पास हैं। राज्याभिषेक समारोह में दुनिया भर से मेहमान जुटेंगे और विभिन्न मंचों पर इसका प्रसारण किया जाएगा। महाराजा चार्ल्स तृतीय सेंट एडवर्ड का मुकुट पहनेंगे, जबकि महारानी कैमिला भव्य आयोजन में कोहिनूर के बिना महारानी मैरी का मुकुट (1911 राज्याभिषेक से) पहनेंगी। इस समारोह में पिछले राज्याभिषेक की छवियों की भी झलक मिलेगी – विशेष रूप से 1911 में महाराजा जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के राज्याभिषेक की, जिनका भारत के साथ गहरा संबंध था।
‘रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट’ की वेबसाइट के अनुसार, उनके जून 1911 के राज्याभिषेक के लिए महारानी मैरी का ताज क्राउन ज्वेलर्स, गैरार्ड एंड कंपनी से लिया गया था। वेबसाइट पर ‘क्वीन मैरी क्राउन 1911’ के विवरण के अनुसार, इसमें तीन बड़े हीरे – कोह-ए-नूर, कलिनन 3 और 4 (अफ्रीका के लेसर स्टार्स के रूप में भी जाने जाते हैं) शामिल थे – जिन्हें बाद में क्वार्ट्ज क्रिस्टल प्रतिकृतियों से बदल दिया गया ताकि गहनों को वैकल्पिक सेटिंग्स में इस्तेमाल किया जा सके। छह महीने बाद, शाही जोड़ा भारत आया और एक शानदार दिल्ली दरबार में शामिल हुआ, जहां उन्हें भारत का महाराजा और महारानी घोषित किया गया।
यह (1911 का) दरबार दो वजहों से ऐतिहासिक था। यह एकमात्र दरबार था जिसमें महाराजा ने स्वयं भाग लिया था और यहीं पर शाही राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई थी। चार्ल्स तृतीय के छह मई को होने वाले राज्याभिषेक से पहले एक बार फिर कोहिनूर हीरे और कुछ जवाहरातों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है जो अब भी ब्रिटिश शाही परिवार के पास हैं। राज्याभिषेक समारोह में दुनिया भर से मेहमान जुटेंगे और विभिन्न मंचों पर इसका प्रसारण किया जाएगा। महाराजा चार्ल्स तृतीय सेंट एडवर्ड का मुकुट पहनेंगे, जबकि महारानी कैमिला भव्य आयोजन में कोहिनूर के बिना महारानी मैरी का मुकुट (1911 राज्याभिषेक से) पहनेंगी।
इस समारोह में पिछले राज्याभिषेक की छवियों की भी झलक मिलेगी – विशेष रूप से 1911 में महाराजा जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के राज्याभिषेक की, जिनका भारत के साथ गहरा संबंध था। ‘रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट’ की वेबसाइट के अनुसार, उनके जून 1911 के राज्याभिषेक के लिए महारानी मैरी का ताज क्राउन ज्वेलर्स, गैरार्ड एंड कंपनी से लिया गया था।
वेबसाइट पर ‘क्वीन मैरी क्राउन 1911’ के विवरण के अनुसार, इसमें तीन बड़े हीरे – कोह-ए-नूर, कलिनन 3 और 4 (अफ्रीका के लेसर स्टार्स के रूप में भी जाने जाते हैं) शामिल थे – जिन्हें बाद में क्वार्ट्ज क्रिस्टल प्रतिकृतियों से बदल दिया गया ताकि गहनों को वैकल्पिक सेटिंग्स में इस्तेमाल किया जा सके।
छह महीने बाद, शाही जोड़ा भारत आया और एक शानदार दिल्ली दरबार में शामिल हुआ, जहां उन्हें भारत का महाराजा और महारानी घोषित किया गया। यह (1911 का) दरबार दो वजहों से ऐतिहासिक था। यह एकमात्र दरबार था जिसमें महाराजा ने स्वयं भाग लिया था और यहीं पर शाही राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई थी।