रांची। आइडीटीवी के विशेष सेगमेंट पड़ताल में आज गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की पड़ताल। राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना।
इस लेख में इसी योजना का विश्लेषण करने जा रहे हैं। हम आपको बतायेंगे कि छात्रों के लिए ये योजना तो ला दी गई है, पर उन्हें ही इसके बारे में कुछ पता नहीं है। जिन्हें पता है, वे ये नहीं जानते कि इसका लाभ कैसे मिलेगा।
ऐसे में ये योजना छात्रों के लिए कितनी उपयोगी है और अब तक कितने छात्रों को इसका लाभ मिल सका है इस पर मंथन की जरूरत है।
गरीब छात्रों के लिए है योजना
झारखंड सरकार ने राज्य के गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा का बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना शरू की है।
इस योजना के तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए महज चार प्रतिशत के ब्याज दर पर ऋण दिया जाना है।
योजना के लिए 200 करोड़ का कोष
इस योजना के लिए 200 करोड़ रूपये का कोष बनाया गया है। उच्च और तकनीकी विभाग के अधीन इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अनुसार राज्य में छात्रो को ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके लिए विभाग द्वारा झारखण्ड और भारत के सभी राज्यों के 2047 कॉलेजों का चयन किया गया है। जिसमे पढ़ने वाले छात्रों को ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
झारखंड की कड़े शर्तें कर रही परेशान
झारखंड में कॉलेजों के लिए इतनी कड़ी शर्तें रखी गई हैं, कि राज्य के मात्र छह कॉलेज अब तक योजना के लिए चयनित हो सके हैं।
पहली शर्त है कि जो कॉलेज हालिया एनआईआरएफ सूची की शीर्ष 200 रैंकिंग में आते हैं , उनमें नामांकित छात्र इस योजना के तहत ऋण के पात्र होंगे।
दूसरी शर्त है कि जो संस्थान अपने संबंधित श्रेणी के लिए एनआईआरएफ सूची की शीर्ष 100 रैंकिंग में आते हो।
तीसरी शर्त है कि जिन संस्थानों को नैक ए प्लस ग्रेडिंग प्राप्त हो।
झारखंड के मात्र 6 कॉलेजों का चयन
इन कड़ी शर्तों के कारण ही राज्य के मात्र छह कालेजों का ही चयन इस योजना के लिए हो सका है।
इन चयनित संस्थानों में आइआइएम रांची, आइआइटी-आइएसएम धनबाद, एक्सएलआरआइ जमशेदपुर, बीआइटी मेसरा रांची, अरका जैन यूनिवर्सिटी जमशेदपुर और निर्मला कालेज रांची शामिल हैं।
इस योजना के अन्तर्गत 15 लाख रुपये तक का लोन, 15 वर्ष तक के लिए 4% की ब्याज दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार इसमें गारंटर की भूमिका में रहेगी।
लोन की वापसी उस पाठ्यक्रम की समाप्ति के एक वर्ष के बाद से शुरू करने का छात्रों के पास विकल्प होगा। जो छात्र पढ़ाई करते हुए पूरा ब्याज चुका देंगे उन्हें ब्याज दर में 1% की छूट भी दी जायेगी।
क्या है दूसरे राज्यों में व्यवस्था
पड़ोसी राज्य बिहार की बात करें, तो वहां भी बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लागू है। इसके तहत महिलाओं, ट्रांसजेंडरों और विकलांगों को मात्र एक प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जा रहा है।
दरअसल, ये योजना पश्चिम बंगाल स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का प्रतिरुप है। लेकिन दोनो राज्यों की शर्तो मे कई बड़े अन्तर हैं।
पश्चिम बंगाल में अधिकतम राशि 10 लाख रुपए है, वहीं झारखंड में 15 लाख रुपये तक ऋण दिया जाना है। पश्चिम बंगाल में कॉलेजों को लेकर किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई है।
वहां किसी भी कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र इस ऋण के लिए योग्य है। वहां किसी भी संस्थान में पढ़ाई करने वाले छात्रों को इसका लाभ देने का प्रावधान है। वहीं, झारखंड में कॉलेजों को लेकर कड़ी शर्तें है।
देश के 2047 कॉलेज जुड़े हैं योजना से
वैसे तो गुरुजी स्टूडेट क्रेडिट कार्ड योजना के अन्तर्गत राज्य और राज्य के बाहर 2047 कॉलेज सूचीबध है। ये तमाम संस्थान देश में विशेष स्थान रखते हैं, जिनमें नामांकन छात्रों का सपना होता है।
पर दुर्भाग्य ये है कि झारखंड के ज्यादातर छात्रों को इस योजना के बारे में कुछ पता ही नहीं है। यदि इसकी जानकारी भी है, तो राज्य में सीमित कॉलेजों के कारण वे इसका लाभ लेने वंचित हैं।
छात्रों का कहना है कि ये स्कीम तो उनके लिए है ही नहीं। खास लोगों को ध्यान में रखकर ये योजना बनाई गई है।
राज्य के चयनित कॉलेजों में झारखंड के छात्रों का नामांकन कम
वर्तमान में 10वीं की परीक्षा में लगभग साढ़े तीन लाख विद्यार्थी पास हुए तथा बारहवीं में लगभग तीन लाख विद्यार्थी पास हुऐ।
झारखण्ड सरकार द्वारा जिन कॉलेजो को सुचीबध किया गया है उन कॉलेज मे झारखण्ड के छात्रो की संख्या 4-5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी।
इस योजना से जुड़े राज्य के छह संस्थानों में करीब 5500 सीटे है। इनमें भी झारखंड के छात्रों लिए अधिकतम करीब 1000 सीट ही है।
इन संस्थानों सभी राज्यो के छात्रो के नामांकन लिये जाते हैं। बीआइटी को छोड़ अन्य में राज्य के छात्रों के लिए सीटें निर्धारित नहीं है।
अरका जैन विश्वविधालय एक निजी संस्थान है। जहां पढ़ने वाले छात्रों के परिजन आर्थिक रूप से मजबूत होते है, जिन्हें ऋण की आवश्यकता न के बराबर है या वे बैंको से ऊंची ब्याज दर मिलने वाले ऋण चुका पाने में सक्षम होते हैं।
योजना के लिए अब तक मात्र 242 छात्रों का चयन
इस योजना के प्रथम चरण में इसी साल 242 अभ्यर्थी लाभावित हुए है। ये आंकड़े बता रहे हैं राज्य के सभी गरीब छात्र इस योजना से लाभानिवत नहीं हो पा रहे हैं।
यह भी जरूरी नहीं है कि राज्य के सभी मेधावी छात्रों का नामांकन राज्य या बाहर के चयनित संस्थानों में हो ही जाये।
ऐसे में इस योजना की उपयोगिता पर सवाल तो खड़े होंगे ही। जैसा की राज्य के छात्र बता रहे हैं कि इसे यदि सार्थक बनाना है, तो कॉलेजों के चयन में जटिलता को समाप्त करनी होगी, ताकि इसके दायरे में सभी जरूरतमंद मेधावी छात्र आ सकें और उनके बेहतर भविष्य का सपना पूरा हो।
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