नशे के कारोबार पर लिया स्वतः संज्ञान
रांची। झारखंड में नशा का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। धड़ल्ले से जारी इस अवैध कारोबार की गिरफ्त में युवा पीढ़ी है।
फलस्वरूप चोरी, जुआ, अनाचार, हत्या की वारदातें बढ़ रही हैं। झारखंड हाईकोर्ट ने खूंटी जिले में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की।
जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने नशे के अवैध कारोबार पर पूरी तरह से रोक नहीं लगने पर नाराजगी जतायी।
नशे का कारोबार रोकने में पुलिस विफल
झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि, झारखंड में नशे का अवैध कारोबार रोकने में अब तक पुलिस विफल रही है।
मादक पदार्थ बेचनेवाले दुकानों को पुलिसकर्मी सुबह 3:00 बजे तक खुला रहने देते हैं। मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री पर पुलिस नियंत्रण नहीं कर पा रही है, जो चिंताजनक है।
पुलिस की मिलीभगत की आशंका जताई
ऐसा लगता है कि नशे के कारोबार में पुलिस की भी संलिप्तता है। यह स्थिति कतई ठीक नहीं है।
खंडपीठ ने सख्त हिदायत दी और कहा कि, यदि पुलिस नशे का कारोबार नहीं रोकती है, तो इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप करेगा और सख्त आदेश पारित करेगा।
राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश
खंडपीठ ने राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि नशे के कारोबार रोकने को लेकर क्या-क्या कदम उठाये गये हैं? क्या कार्रवाई की जा रही है?
एनसीबी को आरोप पत्र दायर करने का निर्देश
खंडपीठ ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को भी शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया।
इससे पहले राज्य सरकार की ओर से मामले में शपथ पत्र दायर किया गया, लेकिन खंडपीठ ने अन्य कई बिंदुओं पर सरकार को जानकारी देने का निर्देश दिया।
मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी।
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर नशे के कारोबारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जानकारी दी गयी। वहीं, एनसीबी की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की।
बता दें कि, पूर्व में इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है। समाज व अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव काफी चिंताजनक हैं।
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