नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत में आम संक्रमण जैसे यूटीआई, निमोनिया, सेप्सिस और डायरिया का इलाज अब पहले जैसा आसान नहीं रहा है। अस्पतालों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया तेजी से एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेसिस्टेंट हो रहे हैं। यह जानकारी ICMR की 2024 AMR Surveillance Report में सामने आई है, जिसमें देश के बड़े अस्पतालों से लिए गए लगभग एक लाख मरीजों के सैंपल का विश्लेषण किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार
रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा खतरा ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया से है, जो कई मजबूत एंटीबायोटिक दवाओं पर असर नहीं दिखा रहे। सबसे आम इंफेक्शन देने वाला E. coli पहले ही कई दवाओं पर रेसिस्टेंट हो चुका है। वहीं, क्लेबसिएला न्यूमोनिया, जो निमोनिया और सेप्सिस का बड़ा कारण है, तीन-चौथाई मामलों में पाइपेरासिलिन-टैजोबैक्टम जैसी दवा को भी बेअसर कर देता है। ICU में मिलने वाला एसिनेटोबैक्टर बाउमन्नी मेरोपेनम जैसी मजबूत दवा के प्रति 91 प्रतिशत तक रेसिस्टेंट पाया गया। ऐसे मामलों में डॉक्टरों को मजबूरी में ज्यादा टॉक्सिक और मुश्किल दवा-कॉम्बिनेशन का सहारा लेना पड़ रहा है। इसके अलावा, स्यूडोमोनास एरुगिनोसा की रेसिस्टेंस भी लगातार बढ़ रही है, जिससे वेंटिलेटर-असोसिएटेड निमोनिया का इलाज और मुश्किल हो गया है।
डायरिया पैदा करने वाले रोगाणु
डायरिया पैदा करने वाले कई रोगाणु फ्लुओरोक्विनोलोन और सेफालोस्पोरिन जैसी लोकप्रिय दवाओं पर भी रेसिस्टेंट मिले। फंगल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ रहा है। कैंडिडा औरिस लगभग 10 प्रतिशत मामलों में दवाओं के सामने टिक रहा, जबकि एस्परगिलस के करीब एक-तिहाई सैंपल Amphotericin B जैसी महत्वपूर्ण दवा के प्रति रेसिस्टेंट पाए गए। ICMR ने कहा कि यह डेटा अस्पतालों के इंफेक्शन का है, आम समुदाय की तस्वीर इससे अलग हो सकती है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक दवाएं अपनी क्षमता खो रही हैं, और गंभीर मरीज इसका सीधा असर झेल रहे हैं।
सुपरबग्स क्या होते हैं?
सुपरबग्स ऐसे बैक्टीरिया हैं जो कई तरह की एंटीबायोटिक दवाओं के सामने टिक जाते हैं। जब किसी मरीज में इनकी वजह से इंफेक्शन होता है तो सामान्य दवाएं असर नहीं करतीं। इसी कारण इलाज लंबा खिंच जाता है और बीमारी को नियंत्रित करना भी मुश्किल हो जाता है।
कैसे होते हैं सुपरबग्स
सुपरबग्स ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो कई एंटीबायोटिक दवाओं के सामने टिक जाते हैं। इनके कारण इंफेक्शन का इलाज लंबा और जटिल हो जाता है। भारत में प्रमुख सुपरबग्स में शामिल हैं:
- मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टैफिलोकोकस ऑरियस
- ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी
- कार्बापेनेम-रेसिस्टेंट एंटरोबैक्टीरिएसी
- वैनकोमाइसिन-रेसिस्टेंट एंटरोकॉकस
ये बैक्टीरिया कई दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं देते, जिससे डॉक्टरों के लिए सही इलाज चुनना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।



