Arthritis Symptoms:
नई दिल्ली, एजेंसियां। आर्थराइटिस यानी जोड़ों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हड्डियों के जोड़ सूज जाते हैं और उनमें दर्द या अकड़न महसूस होती है। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह अधिक पाई जाती है। महिलाओं और जिनके परिवार में पहले से यह बीमारी रही हो, उनमें इसका खतरा दोगुना होता है।
डॉक्टरों के अनुसार
डॉक्टरों के अनुसार, आर्थराइटिस के दो मुख्य प्रकार हैं ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) और रूमेटॉयड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)। ऑस्टियोआर्थराइटिस में जोड़ों की हड्डियों के बीच मौजूद कुशन (कर्टिलेज) धीरे-धीरे घिस जाता है, जिससे हड्डियाँ आपस में रगड़ खाती हैं और दर्द बढ़ता जाता है। वहीं रूमेटॉयड आर्थराइटिस में शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला करता है, जिससे सूजन और जकड़न बढ़ती है।
आर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण
लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के डॉ. एल.एच. घोटेकर बताते हैं कि आर्थराइटिस की शुरुआत आमतौर पर हल्के दर्द या अकड़न से होती है, जो धीरे-धीरे बढ़ने लगती है।
• सुबह उठने पर घुटनों, उंगलियों या कमर में जकड़न महसूस होना
• जोड़ के आसपास सूजन या गर्माहट
• चलने-फिरने में दर्द या भारीपन
• प्रभावित जगह पर लालपन
• ठंड या मौसम बदलने पर दर्द का बढ़ जाना
रूमेटॉयड आर्थराइटिस में दर्द आमतौर पर शरीर के दोनों तरफ के समान जोड़ों (जैसे दोनों घुटनों या दोनों कलाईयों) में होता है। लक्षण अगर लगातार बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराना ज़रूरी है, क्योंकि शुरुआती स्टेज पर इलाज आसान और असरदार होता है।
कैसे करें बचाव?
डॉ. के अनुसार, जीवनशैली में छोटे बदलाव करके इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है —
• वजन नियंत्रित रखें: मोटापा जोड़ों पर दबाव बढ़ाता है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकती है।
• संतुलित आहार लें: डाइट में कैल्शियम, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन D शामिल करें।
• सही पॉश्चर अपनाएं: लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठने से बचें।
• जोड़ों को ठंड से बचाएं: ठंडे मौसम में गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करें।
• डॉक्टर की सलाह लें: दर्द या सूजन महसूस होने पर तुरंत जांच करवाएं।
आर्थराइटिस को “एजिंग प्रॉब्लम” समझकर अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। शुरुआती लक्षणों को पहचानना और समय पर इलाज करवाना ही इसका सबसे बेहतर उपाय है। संतुलित खानपान, सक्रिय जीवनशैली और सही देखभाल से इस बीमारी को लंबे समय तक कंट्रोल में रखा जा सकता है।
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