नई दिल्ली, एजेंसियां। सही समय पर भोजन करने से न केवल सेहत में सुधार होता है, बल्कि मस्तिष्क भी अच्छा रहता। इतना ही नहीं दिन भी तारो ताजा गुजरता है। आयुर्वेद के अनुसार, भोजन का सही समय केवल हमारी भूख पर निर्भर नहीं करता, बल्कि हमारे शरीर की जैविक घड़ी (बॉडी क्लॉक) पर भी असर डालता है। आइए जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार भोजन का सही समय क्या होना चाहिए।
- नाश्ता
नाश्ता हमेशा सुबह के 7-9 के बीच में ले। इसका कारण है सुबह के समय पाचन अग्नि (डाइजेस्टिव फायर) धीमी होती है, इसलिए नाश्ता हल्का और पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। इसमें ताजे फल, सूखे मेवे, दलिया या घी से बना हल्का भोजन शामिल करना फायदेमंद रहेगा। बहुत भारी, तला-भुना या ठंडा भोजन खाने से बचें। - दोपहर का भोजन
आयुर्वेद के अनुसार, दोपहर का भोजन 12-2 के बीच भारी आहार लेना चाहिए। क्यूंकि इस समय पाचन अग्नि सबसे तेज होती है, जिससे शरीर पोषक तत्वों को अच्छे से अवशोषित कर सकता है। इसलिए, दोपहर के भोजन में दाल, चावल, रोटी, सब्जियाँ और देसी घी जैसी संतुलित चीजें शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड और अत्यधिक तला-भुना खाने परहेज करें। - शाम का नाश्ता
शाम नाश्ता हल्का और 4-6 बजे तक लेना चाहिए। क्यूंकि हल्का नाश्ता करने से रात के खाने से पहले अत्यधिक भूख नहीं लगती और पाचन बेहतर रहता है। इस समय फल, भुने हुए मखाने, सूखे मेवे या हर्बल चाय लेना अच्छा रहता है। पैकेज्ड स्नैक्स, बहुत मीठी या तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए। - रात का भोजन
आयुर्वेद के अनुसार, रात के 7-8 बजे तक हल्का और जल्दी भोजन कर लेना चाहिए। समय पाचन शक्ति धीमी हो जाती है, इसलिए देर रात भारी भोजन करने से पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। रात के खाने में दाल, हल्की सब्जियां, खिचड़ी या सूप लेना बेहतर होता है। अधिक मसालेदार, भारी और ठंडा भोजन नहीं खाना चाहिए। - सोने से पहले अगर सोने से पहले 9-10 के बीच हल्की भूख महसूस हो, तो गर्म हल्दी दूध, हर्बल टी या गुनगुना पानी लेना अच्छा विकल्प हो सकता है।
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