नई दिल्ली, एजेंसियां। हर निजी संपत्ति सामुदायिक संपत्ति नहीं हो सकती। कुछ खास संसाधनों को ही सरकारें सामुदायिक संसाधन मानकर इनका इस्तेमाल सार्वजनिक हित में कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने मंगलवार को यह कहते हुए बहुमत से अपना अहम फैसला सुनाया। जान लें कि डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में नौ जजों की बेंच ने 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया।
बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे।
बेंच ने छह माह पहले फैसला सुरक्षित रख लिया था
बेंच ने छह माह पहले अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और तुषार मेहता सहित कई वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेंच ने जस्टिस कृष्ण अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया। उस फैसले में कहा गया था कि सभी निजी संपत्तियों को राज्य सरकारें अधिग्रहीत कर सकती हैं।
सीजेआई ने पिछला फैसले को विशेष आर्थिक, समाजवादी विचारधारा से प्रेरित बताया। साथ ही कहा कि राज्य सरकारें उन संसाधनों पर दावा कर सकती हैं, जो भौतिक हैं और सार्वजनिक भलाई के लिए समुदाय द्वारा रखे जाते हैं।
बता दें कि बेंच ने 16 याचिकाओं पर सुनवाई की थी, जिसमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (POA) द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल थी। POA ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डिवेलपमेंट एक्ट (MHADA) अधिनियम के अध्याय VIII-ए का विरोध किया था।
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