रांची : शराब घोटाले का जिन्न अब दिल्ली के बाद झारखंड में निकल आया है। यह जिन्न बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगाये गये आरोपों की बोतल से निकला है। दरअसल, झारखंड भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर शराब घोटाले में शामिल रहने का आरोप लगाया है।
भाजपा विधायक दल के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने प्रेसवार्ता और बाद में ट्वीट करके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर शराब घोटाले में शामिल रहने के आरोप लगाये हैं। बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि शराब नीति के लिए नियुक्त छत्तीसगढ़ की परामर्शी कमेटी ने सिंडिकेट और अधिकारियों से मिलकर सरकार को 450 करोड़ का चूना लगाया है।
भ्रष्टाचार के लिए लागू की गयी झारखंड की शराब नीति
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की शराब नीति भ्रष्टाचार के लिए ही झारखंड में लागू की गयी और छत्तीसगढ़ की ही कंपनियों को यहां ठेका दिया गया। बाबूलाल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की चार कंपनियों को गलत तरीके से झारखंड में काम मिला। राज्य सरकार ने शुरूआत में 2300 करोड़ की राजस्व वसूली का दावा किया लेकिन बाद में पता चला कि नुकसान होनेवाला है।
मैंने गड़बड़ी की आशंका जताते हुए मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी। बाद में जब ईडी ने छत्तीसगढ़ में छापा मारा और मामला झारखंड से जुड़ा तो सरकार ने आनन-फानन में उत्पाद सचिव और आयुक्त को नोटिस जारी किया और 450 करोड़ रुपये की रिकवरी करने को कहा। शराब घोटाले में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई न करके उन्हें नोटिस देना बताता है कि सरकार ने अपनी चमड़ी बचाने के लिए पूरा चक्रव्यूह रचा।
हर सेक्टर में भ्रष्टाचार हुआ
श्री मरांडी ने कहा कि ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जिसमें हेमंत सोरेन के कार्यकाल में भ्रष्टाचार न हुआ हो। बाबूलाल ने कहा कि हमने 18 और 19 अप्रैल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी के जरिये हमने उन्हें आगाह किया कि अधिकारियों और बिचौलियों की मदद से कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया लेकिन सरकार ने कार्रवाई नहीं की। बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि शराब नीति के लिए नियुक्त छत्तीसगढ़ की परामर्शी कमेटी ने सिंडिकेट और अधिकारियों से मिलकर सरकार को 450 करोड़ का चूना लगाया है।