कहा- 56 करोड़ रुपए देना संभव नहीं
रांची। राज्य के वित्त रहित शिक्षण संस्थानों (इंटर कॉलेज, हाईस्कूल, मदरसा, संस्कृत स्कूल) के अनुदान राशि में 75 प्रतिशत वृद्धि के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री के स्वीकृति के बाद आगे की कार्यवाही के लिए वित्त विभाग को भेजा गया था।
लेकिन वित्त विभाग ने टिप्पणी करते हुए अनुदान राशि में वृद्धि से संबंधित प्रस्ताव को वापस कर दिया है। कहा कि 75 प्रतिशत अनुदान राशि में वृद्धि करने से 56 करोड़ रुपए अतिरिक्त व्ययभार बढ़ेगा, जिस अभी बजट में प्रावधान करना संभव नहीं है।
शिक्षाकर्मियों में आक्रोशः
सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की गई है, इसलिए अभी वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से भी अभी अतिरिक्त व्यय वहन उचित नहीं होगा। वित्त विभाग के इस टिप्पणी से वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों और कर्मचारियों में आक्रोश है।
16 अक्टूबर को 1250 शिक्षण संस्थानों में हड़तालः
वित्त रहित संघर्ष मोर्चा के रघुनाथ सिंह ने कहा कि वित्त विभाग के टिप्पणी के विरोध में 16 अक्टूबर को राज्य के सभी 1250 वित्त रहित शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक हड़ताल घोषित किया गया है। शिक्षण संस्थानों के मुख्य द्वार पर ताला लटका रहेगा। शिक्षक और कर्मचारी अपने-अपने शिक्षण संस्थानों के समक्ष धरना-प्रदर्शन करेंगे।
वित्त विभाग ने उठाये ये सवालः
अनुदान राशि में वृद्धि से संबंधित प्रस्ताव को वापस करने से पहले वित्त विभाग ने शिक्षा विभाग से पूछा था कि अनुपूरक बजट में 56 करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि आवंटन के लिए नियम है? इसके जवाब चार घंटे में शिक्षा विभाग देते हुए विभाग को संचिका भेज दिया गया। लेकिन इस जवाब से वित्त विभाग संतुष्ट नहीं हुआ।
शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों में आक्रोश अनुदान राशि में वृद्धि से संबंधित प्रस्ताव वित्त विभाग द्वारा वापस कि जाने के बाद शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों में आक्रोश है। कहा कि शिक्षण संस्थानों के लिए सरकार के पास 56 करोड़ रुपए नहीं है, लेकिन गैर शैक्षणिक योजनाओं के लिए राशि की कमी नहीं है।
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