450 से ज्यादा स्टूडेंट को बना चुके हैं शिकार
जमशेदपुर। देश-विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, मैनेजमेंट, मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश दिलाने के नाम पर देशभर में 450 से अधिक छात्र-छात्राओं से करोड़ों रुपये की ठगी की गई है।
नोएडा पुलिस ने गिरोह के दो सदस्यों और दो युवती समेत छह को अरेस्ट किया है। एक आरोपित फरार है।
यहां मारा गया छापा
बताया जा रहा है कि डेढ़ वर्ष से ये लोग प्रति छात्र छह से दस लाख रुपये तक वसूल रहे थे।
आरोपियों से 5.6 करोड़ रुपये के पोस्टडेटेड चेक, 3.90 लाख कैश, दो लैपटाप, 16 मोबाइल फोन और ठगी में इस्तेमाल कार बरामद की गई है।
एडीसीपी मनीष कुमार मिश्र के अनुसार, योर नेक्स्ट स्टैप स्मार्ट साल्यूशन आफिस में छापा मारा गया। यहां से पटना (बिहार) के राहुल कुमार, अनुपम कुमार, नागपुर (महाराष्ट्र) के दयानंद पांडेय, आगरा (उत्तर प्रदेश) के सचिन सिंह, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) की विदुषी लोहिया, विनय प्रताप (कोलकाता) और जमशेदपुर (झारखंड) की निकिता उपाध्याय को पकड़ा गया। राहुल कुमार और अनुपम गिरोह के सरगना हैं।
एक अन्य सरगना सोनू कुमार फरार है। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि इंटरनेट मीडिया और विभिन्न प्लेटफार्म के माध्यम से भारत, यूके और अमेरिका के प्रतिष्ठित कालेजों में कम रैंकिंग वाले छात्रों को मैनेजमेंट, मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश दिलाने का भरोसा देते थे।
गिरोह के तीन सदस्य पटना के
गिरोह के तीनों सरगना पटना के रहने वाले हैं। तीनों एनसीआर में नौकरी करते थे। इन लोगों ने एक कार्यालय पुणे में भी खोला है।
इसका संचालन सोनू करता है। पटना निवासी सरगना राहुल कुमार पूर्व में ट्रेन में लूटपाट का आरोपित रहा है।
वह पत्नी, बेटे और बेटी के साथ ग्रेटर नोएडा रह रहा था। यहीं से पुलिस ने राहुल और उसके सहयोगी अनुपम कुमार को गिरफ्तार किया है।
ऐसे करते थे ठगी
गिरोह के सदस्यों ने इंस्टाग्राम पर नेक्स्ट एजुकेशन, एडुप्रो, कैरियर कार्नर, गुरुकुल एजुकेशन, एजुकेशन कंसल्टेंसी, कैरियर प्लान, एडमिशन साथी नाम से अकाउंट बना रखे थे, जिन पर विज्ञापन भी जारी करते थे।
इसमें दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क होने पर छात्र को कार्यालय में बुलाकर काउंसलिंग करते थे।
इसमें देश-विदेश के मेडिकल इंजीनियरिंग के साथ ही अन्य व्यावसायिक शिक्षा देने वाले नामी कालेजों में पकड़ होने का दावा करते थे।
कुछ छात्रों को प्रवेश दिलाने के फर्जी दस्तावेज भी दिखाए जाते थे। छात्र का भरोसा जीतने के बाद आधी धनराशि नकद और आधी चेक के माध्यम से मांगते थे।
बैंक में चेक लगाने के बाद सिम फेंक देते थे, जिससे छात्र संपर्क न कर सकें। गिरोह ने विभिन्न शहरों में एजेंट भी बनाए थे।
ये लोग छात्रों को इनके संपर्क में लाते थे और शिकार बनाने के बाद कमीशन प्राप्त कर लेते थे।
इन शिक्षण संस्थानों में एडमिशन का झांसा
आरोपित एनएल डालमिया इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च सेंटर, वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, जेपी इंस्टीट्यूट आफ इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट, एनडब्ल्यूएसी, आइएमटी आदि संस्थानों के प्रवेश फार्म भरवा लेते थे।
इस संबंध में नोएडा के जेपी इंस्टीट्यूट के प्रबंधन का कहना है कि उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं है। किसी छात्र से भी कोई शिकायत नहीं मिली है।
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