नयी दिल्ली, एजेंसियां : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उद्योग मंडल एसोचैम और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की याचिका सूचीबद्ध नहीं होने के कारण चुनावी बॉण्ड विवरण के खुलासे के खिलाफ उनकी दलीलों पर विचार करने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि 12 अप्रैल, 2019 से पहले चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने का आदेश न देना संविधान पीठ का एक ‘सचेत विकल्प’ था।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले में शीर्ष अदालत द्वारा अप्रैल 2019 में पारित अंतरिम आदेश का हवाला दिया।
उच्चतम न्यायालय ने 12 अप्रैल, 2019 को एक अंतरिम आदेश जारी कर निर्देश दिया था कि राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे की जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपनी होगी।
सोमवार को पीठ ने बॉण्ड विवरण के खुलासे के खिलाफ उद्योग निकायों- एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की गैर-सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
एसोचैम और सीआईआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने उद्योग निकायों द्वारा दायर आवेदनों का हवाला दिया तो सीजेआई ने कहा, “हमारे बोर्ड में ऐसा कोई आवेदन नहीं है।”
रोहतगी ने कहा कि अब ब्योरा देने के लिए कैसे कहा जा सकता है, जब चुनावी बॉण्ड योजना ने राजनीतिक दलों को गुमनाम वित्तीय योगदान देने की शुरुआत की थी।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने 12 अप्रैल, 2019 से विवरण एकत्र करने का निर्देश दिया था। उस वक्त सभी को नोटिस दिया गया था।
यही कारण है कि हमने अंतरिम आदेश से पहले बेचे गए बॉण्ड का खुलासा करने के लिए नहीं कहा। यह संविधान पीठ का एक सचेत निर्णय था।”
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